Monday, March 13, 2017

वर्ल्ड रिपोर्ट : भरोसा न करने लायक मीडिया की सूची में भारत दूसरे नंबर पर

वर्ल्ड रिपोर्ट : भरोसा न करने लायक मीडिया की सूची में भारत दूसरे नंबर पर

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ( World Economic Forum ) ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत को भरोसा न करने लायक मीडिया की सूची में दूसरे नंबर पर रखा है । इस सूची में पहले नंबर पर ऑस्ट्रेलिया की मीडिया है ।

World Report: India second in the list of unreliable media

एडेलमैन कम्युनिकेशन समूह पिछले 20 साल से लगातार यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि सरकार, मीडिया, एनजीओ व व्यवसाय में लोगों का कितना भरोसा है। इस सर्वेक्षण के लिए 28 देशों में 33 हजार लोगों की राय ली गई।

इस साल लेटेस्ट सर्वे के मुताबिक चौकाने वाले नतीजे सामने आये है । न केवल मीडिया के मामले में बल्कि सरकार, एनजीओ व व्यवसाय के मामले में भी आम लोगों का भरोसा टूटा है। 

लोगो का विश्वास इन व्यवसायों पर अब कम होता जा रहा है । इस साल के नतीजे बाकि सभी सालों से कम है। बड़े बड़े कंपनियों के चीफ ,जॉर्नलिस्टों की
विश्वसनीयता लोगों में कम होती जा रही है ।

उदाहरण के तौर पर लोगों को 37% Davos संस्था के प्रतिनिधियों पर विश्वास है जोकि पिछले सालों से 12 पॉइंट कम है।
कंपनी चीफों की विश्वनीयता हर देश में कम हुई है परन्तु सरकारी नेताओं के प्रति लोगों की उम्मीद उनसे ओर भी कम है सिर्फ  29% का मानना कि वह उनपर भरोसा करते हैं ।

मीडिया व्यवसाय की बात करें तो 43% लोगों का मानना है कि वह उन पर भरोसा करते हैं जो 5% पिछले सालों से कम हैं । मीडिया को 28 में से 17 देशों के लोगों ने पिछले सालों से सबसे कम वोट दिए गए हैं । भ्रष्ट मीडिया के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है।

हाल ही के दिनों में भारतीय मीडिया और इसकी झूठी रिपोर्टिंग के तरीकों पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं।

सोशल मीडिया पर आम लोग सक्रिय हो रहे हैं और मुख्यधारा की पत्रकारिता को इसके तरीकों को लेकर कठघरे में खड़ा करते आ रहे हैं।

अब जनता का नेताओं पर भी भरोसा टूटता जा रहा है, चुनाव के समय जनता को घर-घर जाकर मिलते हैं, बड़े-बड़े वादे करते हैं और जनता अपना काम, धंधा बन्द करके लाइन में खड़ी होकर वोट देती है लेकिन जैसे ही चुनाव जीत जाते हैं तो न जनता की सुनते हैं और न ही वादे पूरे करते हैं इस वजह से भी जनता का नेताओं से भरोसा उठ रहा है ।


मीडिया की बात करें तो आज सोशल मीडिया का जमाना है इसलिए इलोक्ट्रिनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया कोई गलत रिपोटिंग करती है तो वहाँ की स्थानीय सच्चाई भरा रिपोर्ट सोशल मीडिया पर पब्लिक कर देती है उसके बाद देश, दुनिया में फैल जाता है जिससे जनता को सच्चाई का पता चल जाता है ।

ऐसे कई उदाहरण है जिसमे मीडिया ने पैसे और टीआरपी के लालच में गलत रिपोटिंग किया है इसमें भी खासकर हिंदुत्व की बात करें तो भारत की मीडिया हमेशा ही उनके खिलाफ ही दिखाती है ।

अभी कुछ समय रोहित वेमुला की आत्महत्या की बात करे तो उसके मुद्दे को मीडिया ने खूब उछाला की दलित था लेकिन जब रिपोर्ट आया तो रोहित वेमुला दलित नही था ।

तरुण तेजपाल ने भी कई खबरें छुपाई थी उसका भी जी न्यूज में खुलासा हुआ था ।

ऐसे ही हिन्दू साधु-संतों के बारे में बोले तो जैसे ही उनपर आरोप लगते हैं ,कार्ट में मामला चलने से पहले ही मीडिया उन्हें दोषी ठहरा देती है ।जैसी कि जयेंद्र सरस्वती, नित्यानंद स्वामी, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंद के ऊपर आरोप लगे थे तब दिन-रात मीडिया ने बढ़ा चढ़ा कर उनको बदनाम किया लेकिन जैसे ही वो निर्दोष बरी हुए तो एक मिनट की भी न्यूज नही दिखायी ।

ऐसे ही अभी का एक ताजा मामला सामने आया है संत आसारामजी बापू का जिस पर भरपूर मीडिया ट्रायल चल रहा है उनके खिलाफ 2008 में तांत्रिक विधि करने का आरोप लगाकर दिन रात मीडिया ने उन्हें बदनाम किया लेकिन जैसे ही उनको सुप्रीम कोर्ट ने क्लीनचिट दी तो कुछ नही दिखाया ।

अभी कुछ समय पहले ही उनके खिलाफ दैनिक भास्कर ने न्यूज छापा थी कि दिल्ली एम्स में मेडिकल चेकप कराते समय संत आसारामजी बापू नर्स को बोले कि तेरे गाल मक्खन जैसे हैं लेकिन बाद में एम्स ने लेटर पेड जारी किया कि संत आसारामजी बापू के चेकअप में कोई नर्स थी ही नहीं  और न ही उन्होंने ऐसा कोई शब्द बोला है ।
डॉ सुब्रमण्यम स्वामी भी बोले थे कि सबसे बड़ा भ्रष्टाचार मीडिया में है और भी कई हस्तियों ने 
मीडिया की गलत रिपोटिंग के खिलाफ आवाज उठाई है ।

कुछ समय पहले इण्डिया टीवी ने टेलीविजन रेटिंग पॉइंट में छेड़-छाड़ करके नंबर टॉप में आ गई जैसे ही उनके अधिकरियों को पता चला तो दो महीने के लिए टेलीविजन रेटिंग पॉइंट से बाहर कर दिया था ।

मीडिया टीआरपी और पैसे की लालच में अंधाधुंध खबरें छापते हैं। हर गांव में हर मौहल्ले में दिन भर में कुछ न कुछ तो खबर होती है लेकिन उसको नही दिखाते ,उनको जिस खबर का पैसा मिलता हो या टीआरपी मिलती हो उसी खबर को ही छापते और दिखाते हैं ।

अतः आप भी आँखें बंद करके इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट मीडिया पर भरोसा करते हो तो सावधान हो जाये!!
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