Friday, June 30, 2017

वेटिकन के विश्व प्रमुख काडर्निल जॉर्ज पेल पर बाल यौन अपराध के आरोप तय

वेटिकन के विश्व प्रमुख काडर्निल जॉर्ज पेल पर बाल यौन अपराध के आरोप तय

जून 30, 2017


सिडनी : पोप के सहायक वेटिकन के विश्व प्रमुख काडर्निल जॉर्ज पेल पर ऑस्ट्रेलिया में कई बाल यौन अपराधों के कारण आज (29 जून 2017) आरोप तय किए गए । देश के सबसे वरिष्ठ कैथोलिक धर्मगुरू पेल से गत वर्ष अक्तूबर में आस्ट्रेलियाई पुलिस ने रोम में पूछताछ की थी । 

उपायुक्त शेन पैट्टन ने संवाददाताओं से कहा, 
विक्टोरिया पुलिस ने यौन हमलों के अपराधों को लेकर काडर्निल जॉर्ज पेल पर कई आरोप तय किए हैं जो ऐतिहासिक है । इन आरोपों से संबंधित कई शिकायतें थी।  पेट्टन ने कहा कि 76 वर्षीय काडर्निल को 18 जुलाई को सुनवाई के लिए मेलबोर्न की मजिस्ट्रेट न्यायालय में पेश होना होगा ।

पेल को 1971 में ऑस्ट्रेलिया लौटने से पहले 1966 में रोम में पादरी बनाया गया था और देश के शीर्ष कैथोलिक अधिकारी बनाया गया था । पोप फ्रांसिस द्वारा चर्च के वित्तीय मामलों को और अधिक पारदर्शी तरीके से संभालने के लिए चुने जाने के बाद वह 2014 में वेटिकन रवाना हुआ ।  

स्त्रोत : जी न्यूज

आपको बता दें कि पिछले साल ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु ‘पोप’ जान पॉल के ‘लव लेटर्स’ भी सामने आये थे जिन्होंने एक शादीशुदा अमेरिकी विचारक महिला अन्ना-टेरेसा ताइमेनिका से रिश्ता रखा हुआ था ।

ईसाई धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु स्वयं ही छोटे-छोटे बच्चों का यौन शोषण करते हैं वो दूसरों का क्या भला करेंगे?

सबसे बड़ी आश्चर्य की बात तो ये है कि जब भी किसी निर्दोष हिन्दू संत पर कोई भी छोटा सा झूठा आरोप लगता है तो मीडिया दिन-रात ब्रेकिंग न्यूज बनाकर उसमें मिर्च-मसाला डाल कर दिखाती है । लेकिन ईसाई धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरु पर बच्चों के साथ किये दुष्कर्म का आरोप साबित भी हो गया है फिर भी मीडिया चुप क्यों है..???

क्या मीडिया को वेटिकन चर्च  से फंडिग आती है?

सुदर्शन न्यूज चैनल के मालिक श्री सुरेश चव्हाणके की बात यहाँ सही निकलती है कि भारत की मीडिया को अधिकतर फंडिग वेटिकन सिटी जो ईसाई धर्म का बड़ा स्थान है वहाँ से आता है इसलिए मीडिया केवल हिन्दू धर्म के साधु-संतों को बदनाम करती है और ईसाई पादरियों के दुष्कर्म को छुपाती है ।

अब आपके मन मे प्रश्न होता होगा कि उनको इससे क्या फायदा होगा?

आपको बता दें कि भारतीय मीडिया को हिन्दू संतों को बदनाम करने के लिए और पादरियों के दुष्कर्म छुपाने के लिए पैसा मिलता है । 
अगर हिन्दू साधु-संतों के प्रति देशवासियों की आस्था बनी रही तो भारत में धर्मांतरण का कार्य आसानी से नहीं होगा।

अब सवाल है कि धर्मांतरण करवाने से उनको क्या फायदा मिलेगा..??


भारतीय संस्कृति वो उत्तम और पवित्र संस्कृति है जो हमें कम सुविधाओं में भी सुखी स्वस्थ और सम्मानित जीवन जीने की शैली देती है । पश्चिमी संस्कृति में भोग की प्रधानता है जबकि भारतीय संस्कृति में योग की प्रधानता है । ये वो संस्कृति है जो मानव को महेश्वर तक की यात्रा कराने में सक्षम है और दूसरी ओर पाश्चात्य संस्कृति बाहरी चकाचौंध वाले जीवन को ही सर्वस्व समझती है। 

अब अगर भारत पर राज्य करना है तो सबसे पहले भारतवासियों का नैतिक व चारित्रिक पतन कराना होगा व इनके आस्था के केंद्रों को तोड़ना होगा ।

यही काम मीडिया द्वारा मिशनरियाँ करा रही हैं हिन्दू साधु संतों के प्रति समाज के मन में नफरत पैदा करके ।

अतः हिन्दू सावधान !!

जो भी दुष्कर्मी पादरी आपको धर्म परिवर्तन करने को बोले या आपके आसपास कहीं भी धर्म परिवर्तन हो रहा हो तो उसका पुरजोर विरोध करें और उनको पुलिस के हवाले करें ।

जो भी मीडिया आपको सच्चाई से अवगत न कराए पर अनर्गल खबरें बना-बनाकर हिन्दू साधू-संतों और हिन्दू कार्यकर्ताओं के विरुद्ध ही खबरें दिखाए तो
समझ जाना कि ये विदेश फंडिग मीडिया है जो देश को तोड़ने का काम कर रही है ।

जागो हिन्दू !!

Thursday, June 29, 2017

कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटाने वाले चीन की वस्तुओं का करें बहिष्कार : डाॅ. सुरेन्द्र जैन

कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटाने वाले चीन की वस्तुओं का करें बहिष्कार : डाॅ. सुरेन्द्र जैन

जून 29, 2017 
#BoycottChina

नई दिल्ली : कैलाश मानसरोवर यात्रा को चीन द्वारा रोके जाने पर विश्व हिन्दू परिषद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है । उनका कहना है कि, नाथूला बोर्डर से जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा को चीन द्वारा रोके जाने से सभी स्तब्ध थे । अभी तक लगता था कि, इसके पीछे शायद प्राकृतिक विपदा ही मुख्य कारण रही होगी । परन्तु चीनी अधिकारियों द्वारा किए गए पत्र व्यवहार तथा जारी बयानों से अब यह स्पष्ट हो गया है कि, इस महत्वपूर्ण यात्रा के रोकने का एक मात्र कारण क्षेत्रीय विस्तार की अमिट भूख व दादागिरी ही है । 

विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डाॅ. सुरेन्द्र जैन ने चीन की इस दादागिरी की कठोर शब्दों में आलोचना करते हुए जहां देश की जनता से चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की अपील की है वहीं भारत सरकार से जमीन के भूखे चीन के साथ इस मामले को गंभीरता से उठाने को भी कहा है । 

उन्होंने कहा कि, तिब्बत पर अबैध कब्जा जमाने के बाद ड्रेगन की भूख और बढ़ गई । इसलिए, उसने न केवल भारत के अरुणाचल प्रदेश समेत कई क्षेत्रों पर दावा कर रखा है बल्कि उन क्षेत्रों के विकास में टांग भी अड़ाता रहता है । वह इन क्षेत्रों को विकसित होते नहीं देखना चाहता । भूपेन हजारिका पुल बनाने के बाद तो वह बुरी तरह बौखला गया । सिक्कम में दो भारतीय बंकर तोड़ना इसी बौखलाहट का प्रतीक है ।

विहिप के संयुक्त महामंत्री ने कहा कि, कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर रोक लगाकर तो उसने सभी सीमाएं लांघ दी हैं । उसने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि, सिक्कम के कुछ स्थानों पर उसका अधिकार स्वीकार किए बिना वह इस यात्रा को प्रारम्भ नहीं होने देगा । चीन के मना करने पर वापस आए यात्री किस यंत्रणा से गुजरे होंगे, संभवतया क्रूर मानसिकता वाला ड्रेगन इसे समझने की संवेदनशीलता नहीं रखता ।

 विहिप भारत सरकार से अपील करती है कि मानसरोवर यात्रा के विषय को और अधिक गंभीरता से ले तथा चीन को चेताए कि वह जमीन की असीम भूख को इस यात्रा में बाधा न बनने दे ।

विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री विनोद बंसल द्वारा जारी बयान में डाॅ. जैन ने यह भी कहा है कि, चीन की निगाहें भारत के क्षेत्रों के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी है । इसलिए वह हमारे बाजार पर भी कब्जा कर रहा है । उन्होंने भारत की जनता से अपील की है कि, बहुत हो चुका, अब वह चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर उसे उसी की भाषा में जबाव दे ।


(प्रेस विज्ञप्ति - डाॅ. सुरेन्द्र जैन)

पाकिस्तान भारत में आतंकी हमले करा रहा है और चीन पाकिस्तान की तरफ है, भारत की जमीन हड़प रहा है, कैलाश मानसरोवर की यात्रा रोक रहा है इसलिए हर भारतीय को चीनी सामानों का बहिष्कार करना अत्यंत आवश्यक हो गया है ।

लेकिन यह कहा तक संभव है?

चीन पिछले दो साल में 956 अमेरिकी मिलियन डॉलर यानी करीब 65 अरब रुपये का निवेश करके भारत में निवेश के मामले में दसवें नंबर पर पहुंच गया है। इसमें दो राय नहीं कि भारत अमेरिका के साथ-साथ चीन के लिए भी बहुत बड़ा बाजार है। चीन में बने माल से पूरा बाजार भरा पड़ा है, क्योंकि चीनी कंपनियों के माल भारत में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। उसका कारण यह भी है कि चीन का माल सस्ते में बिकता है ।

भारत में ही, चीन से सस्ता सामान क्यूँ नही बनता?

चीन से चले सामान में तो फैक्टरी से वहाँ के #बंदरगाह, फिर समुद्र के जहाज और फिर हमारे सड़क या रेल परिवहन तक का लदान, उतरान, व यातायात की कीमत उसके बाद भी #चीन भारत में सस्ता माल बेच रहा है ।

जो सामान चीन में बनता है वो हमारे यहाँ इसलिए नही बनता क्योंकि हमारे श्रम #कानून, हमारे #औद्योगिक कानून, हमारे न्यायालय इन सब में #भ्रष्टाचार है इसलिए हमारे यहाँ पर सस्ता सामान नहीं बन पाता है ।

सरकार व्यापारी पर उतना टैक्स लगा देती है कि भारत की फैक्टरियां घाटे में आ जाती हैं ।

सरकार टैक्स कम कर दे और भ्रष्टाचार बन्द हो जाये तो जैसे चीन से माल हम खरीदते है वैसे पूरी दुनिया भारत से माल खरीदेगी और भारत में बेरोजगारी बिल्कुल नही रहेगी ।

जहाँ तक संभव हो चाइनीज फर्नीचर, गिफ्ट #आइटम, #इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं और अन्य सामान, उसका तो हर भारतीय को तुंरन्त #बहिष्कार करना चाहिए  । लेकिन इससे पहले सरकार को चीन से आने वाला सामना बंद कर देना चाहिये और भारत में कम्पनियां खोलकर स्वदेशी वस्तुओं का प्रोडक्ट बनाकर सस्ती दर में बेचना चाहिए जिससे #चीन की पूरी हेकड़ी बन्द हो जाये ।

अगर हर भारतवासी तय कर ले कि चीन में बना कोई माल नहीं खरीदेगा तब इससे चीन के निर्यात पर व्यापक रूप से असर पड़ सकता है  ।

हमलोग आज से देश की रक्षा के लिए प्रण लें कि चीन के समान का बहिष्कार करेंगे और देश को तकनीक या अन्य कोई भी क्षेत्र में इतने विकसित करें कि गद्दार देशों की, किसी भी क्षेत्र में मदद लेने की आवश्यकता ही न पड़े ? 

चीन की इस नीति को देशवासियों को समझना पड़ेगा । यह तय करना होगा कि विश्वासघाती चीन का उत्पाद खरीदकर उसको और मजबूत करें या देश को आत्मनिर्भर बनाने में विभिन्न तकनीक को और विकसित करें और जरूरत से ज्यादा विदेशी कम्पनियों की वस्तुओं का इस्तेमाल भी न करें । कुछ सावधानी रखें तो जैसे सैनिक सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए जान देने को तैयार रहते है वैसे ही हमलोग भी देश के नागरिक होने के नाते अपना कर्त्तव्य निभाये तो देश सुरक्षित रहेगा वरना हमारे यहाँ अरबों-खरबों का मुनाफा कमाकर हमारे पैसे से हम पर ही चीन गोले-बम की भी बरसात कर सकता है ।

 अब आप ही विचार कीजिये आपको क्या पसंद है..?

Pune : Father Said Muslim Burnt My Son As He Was Hindu

The death of a teenager who was set on fire by three people, including two brothers, who accused him of stealing vehicle batteries has acquired a communal colour in Pune.

While the 17-year-old’s father has alleged that his son was burnt alive after he identified himself as a Hindu, a purported video of the boy confirming the allegation while on his death bed has gone public.
Some pro-Hindutva groups, meanwhile, have demanded an investigation by the Anti-Terrorism Squad (ATS), claiming that the manner in which Savan Rathod was killed “matched the methods” of Islamic State militants.
On Thursday, members of Rathod’s Banjara community and Hindutva groups met senior police officers and threatened to launch an agitation on January 27 over the death. Also, a magistrate court extended police custody of the three suspects — Imran and Zuber Tamboli, and Ibrahim Sheikh — until January 25.
According to the police FIR — the 17-year-old is listed as the complainant — Rathod was set on fire with petrol by the three suspects in a narrow lane in Kasba Peth in the afternoon of January 13 after they accused him of stealing. He succumbed to his injuries last Friday.
The boy’s father, Dharma Rathod, has now disputed the police charge. “Savan left home about a week before his death following a petty quarrel with his sister. After coming to know about the incident, I reached Sassoon hospital (where Savan was admitted) on Thursday evening. I asked him what happened…. From what he told me I believe that assailants did ask him whether he was a Hindu and then burnt him alive after he said ‘yes’,” said Dharma.
While police said there was no record of any offence registered against the boy in the past, some members of the Banjara community claimed to have recorded a video of Savan at the hospital.
The purported video shows him as saying: “I was working with my family in Pandhapur. I had a dispute with them and came to Pune looking for work…While I was urinating, three persons objected and asked me my name. I said Savan Rathod. They asked me if I am Hindu? I said ‘yes’. Then they poured something over me from a can and set me on fire.”
Those recording the video then ask Savan if he feels he was burnt because he is a Hindu. To this, Savan is seen nodding his head.
Said advocate Ramesh Rathod, representing Banjara Kranti Dal, “When we went to the hospital on Thursday evening… Savan’s situation was bad. So we asked police to record his statement before he dies. But the cops refused, saying he himself was the complainant. So I recorded his dying declaration on my cellphone in the presence of his father and other activists. He did not mention anything about theft. Maybe, police fear that revealing the facts would create communal tensions.”
When contacted, DCP Tushar Doshi said, “We probed the backgrounds of all three suspects. No communal links have been found so far. They have committed a gruesome crime. But there is no evidence to say the intention behind it was communal.”
Doshi added, “After nabbing Savan, the assailants questioned him for battery theft for a few hours. We confirmed at least two spots where they took Savan, suspecting he had sold stolen batteries here. Then they forcibly made him drink petrol and set him on fire… Savan Rathod’s video at the hospital could be an afterthought as he did not mention anything of a communal nature when FIR was lodged.”
Police said Sheikh is a tempo driver while the Tamboli brothers operate a scrap-material shop in the Kasba Peth area. Police said Zuber was earlier booked in an attempt to murder case a few years before.
On Thursday, Banjara activists handed over an application to probe the extremist links of the suspects and a CD with the purported video to police at the Faraskhana station.

Wednesday, June 28, 2017

जोगी ममलानाथ : हुकूमत के नशे में आकर आसारामजी बापू पर जो कहर ढहा रहे हैं वे अब जल्दी भुगतेगें

जोगी ममलानाथ : हुकूमत के नशे में आकर आसारामजी बापू पर जो कहर ढहा रहे हैं वे अब जल्दी भुगतेगें

जून 28, 2017
jogi mamlanath asaram bapu ji

अलवर के नजिक नाथ सम्प्रदाय के सुप्रसिद्ध सिद्ध स्थान #भरथरी नाथ आश्रम के संत #ममलनाथ ने संत #आसारामजी बापू का नाम सुनते ही कहा - संत आसारामजी बापू तो सिद्धों के भी सिद्ध हैं । #आसारामजी बापू पर इस समय जितना #अत्याचार किया जा रहा है , भारत के सभी संत-महात्मा उसे देख रहें हैं। अत्याचारियों को इसका फल इसी जीवन में और यहीं इसी भारत भूमि पर भुगतना पड़ेगा । बापूजी तो गुरु #गोरखनाथ की तरह अमर हैं । उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ।

#रावण जैसे #शक्तिशाली राजा का नाश भी #संतों को #सताने से हुआ था । रावण के तो लाख पुत्र और सवा लाख नाती थे । फिर भी उसके कुल में कोई दीया बाती करनेवाला नहीं बचा था ।

यह भारत भूमि है । #हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए यहाँ बड़े बड़े बलवान अत्याचारी बाहर से भी आये पर हिन्दू धर्म को नष्ट नहीं कर पाए । हिन्दू धर्म सत है सत का कभी नाश हो ही नहीं सकता ।

#सिकंदर जैसे दुनिया को जीतनेवाले ने भी इस देश में आकर संतों के आगे #माथा #झुकाया था । हुकूमत के नशे में आकर आसारामजी बापू जैसे संत पर कहर तो ढह रहा है, पर मैं गुरु के आदेश से आपको कह रहा हूँ, पंडित जी, आप और हम अपनी इन्ही आँखों से इनको भुगतते हुए भी जल्दी देखेंगे । ना ही इनकी हुकूमत रहनेवाली है ना ही इनका कुल खानदान ।

संदर्भ : आदर्श पंचायती राज - हिन्दी मासिक पत्रिका) जून -2017, पृष्ठ-6

गौरतलब है कि बापू #आसारामजी #बिना अपराध सिद्ध हुए #4 साल से जोधपुर जेल में बंद हैं और उनकी रिहाई के लिए #सुब्रमण्यम स्वामी, सुरेश चव्हाणके, टी राजा सिंह, संजय राऊत, डीजी वंजारा जी आदि कई हिंदुत्वनिष्ठ हस्तियों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर ट्रेंड्स के द्वारा व ग्राउंड लेवल पर भी उनके समर्थन में हजारों रैलियां, धरने, #प्रधानमंत्री व #राष्ट्रपति के नाम से कलेक्टर को ज्ञापन देना, संत सम्मेलन आदि होते आ रहे हैं ।

आपको बता दें कि अभीतक जमानत नही मिलने पर 70 वर्ष तक हिमालय में तपस्या करने वाले 100 वर्ष से अधिक उम्र वाले बोरिया बाबा जिनकी श्रीमति इंदिरा गांधी से लेकर वर्तमान राष्ट्रपति #प्रणब मुखर्जी तक से भी वार्तालाप होती रही है उन्होंने प्रधानमंत्री को एक खत लिखा था और बताया था कि "मोदी जी मेरा आपसे कहना है कि जिस राजा के राज में संत सताए जाए तथा संत महात्मा भयभीत होकर रहें, तो उस राजा का भविष्य कतई उज्जवल नहीं है । इसलिए मेरी तो आपको सलाह है कि संत आशारामजी बापू एक निर्दोष संत हैं । आप सम्मान के साथ उनकी आजादी का जल्दी से जल्दी प्रबंध कर दें ।"

फिलहाल बापू आसारामजी को #कानून से अभी तक कोई #राहत नही मिली है इसलिए कई #साधु-संत उनकी #रिहाई की मांग कर रहे हैं ।

बापू आसारामजी के #देश-विदेश के करोड़ो अनुयायियों ने और कई हिन्दू संगठनों ने उनके लिए धरने दिए, रैलियां निकाली, ज्ञापन दिए लेकिन उनको अभीतक कोई राहत मिली नही है ।

अब देखते हैं कि बिना सबूत 4 साल से जेल में बंद बापू आसारामजी की रिहाई के लिए अनेक #हिन्दू संगठन, हिन्दुत्वनिष्ठों और उनके करोड़ो भक्तों की #आवाज प्रधानमंत्री #नरेंद्र_मोदी सुनकर कोई ठोस कदम उठाते हैं या ..???

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Tuesday, June 27, 2017

देश पर अंग्रेजों द्वारा लादा गया झूठा लोकतंत्र हटाना ही पड़ेगा : श्री. रमेश शिंदे

देश पर अंग्रेजों द्वारा लादा गया झूठा लोकतंत्र हटाना ही पड़ेगा : श्री. रमेश शिंदे

जून 27, 2017 

अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में हिन्दू #जनजागृति समिति के #राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेजी ने हिन्दू राष्ट्र स्थापना पर बोलते समय कहा कि लोकतंत्र की गत 70 वर्षों की #कालावधि में वाम विचारधारा के लोग यह भूल गए हैं कि, ब्रिटिश और मुगलों के भारत में आने से पहले भारत एक समर्थ हिन्दू राष्ट्र ही था ।
ramesh shindhe
 

उस समय विश्‍व के निराश्रित #पारसी, ज्यू, इराणी लोगों को #आश्रय देनेवाला केवल #भारत ही था ।

अब हमारा विकास दर 6 प्रतिशत से 9 प्रतिशत पर गया, तो भी आनंद व्यक्त किया जाता है; परंतु विदेशी अभ्यासक एंगर्स #मेडिसन ने लिखा है कि, उस समय भारत का #विकासदर 34 प्रतिशत था ।

🚩हमें हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए अलग ब्लू प्रिंट बनाने की क्या आवश्यकता है ? 
भारत में #मुसलमान #आक्रमणकारी एवं #अंग्रेज आने से पूर्व भारत एक समर्थ #हिन्दू #राष्ट्र था । हमारे पास कौटिल्य का अर्थशास्त्र था, स्थापत्यशास्त्र, नृत्यशास्त्र आदि सबकुछ समृद्ध था । हम तो इस देश पर अंग्रेजों द्वारा लादा गया झूठा #लोकतंत्र हटाने की ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं ।

रमेश जी ने बताया कि जिस प्रकार रामायण होने से पहले ही ऋषि वाल्मीकि ने उसे लिखकर रखा था, उसी प्रकार द्रष्टा संत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने वर्ष 1998 में ही भारत में 2023 में #हिन्दूराष्ट्र आएगा, ऐसा लिखा है । उसके लिए अभी जनमानस तैयार हो रहे हैं । यह देश की विविध घटनाआें से सुस्पष्ट हुआ है । अब इस अधिवेशन में आए हिन्दू धर्माभिमानी यह विषय जनमानस पर अंकित करेंगे ।

हिन्दू राष्ट्र में किसी का #तुष्टिकरण नहीं होगा । सबको समान अधिकार होंगे ।


आतंकवाद रोकने हेतु ‘पनून #कश्मीर’ का निर्माण आवश्यक..

हिन्दू अधिवेशन में ‘यूथ फॉर पनून काश्मीर’ के उपाध्यक्ष श्री. राहुल #राजदान ने कहा कि कट्टरपंथियों ने अफगानिस्तान लिया, पाक लिया अब वे कश्मीर से हिंदुओं को निकालना चाहते हैं तथा देहली में आना चाहते हैं । यह जिहादी #आतंकवाद रोकने के लिए केंद्रशासित प्रदेश के रूप में ‘पनून कश्मीर’ का निर्माण आवश्यक है ।

🚩उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर घाटी से वर्ष 1990 में साढे-चार लाख कश्मीरी #हिन्दुआें को निकाल दिया गया । कश्मीर के उस समय के और वर्तमान के कट्टरपंथियों की मनःस्थिति में बहुत अंतर दिखाई देता है ।

'कश्मीरी #हिन्दुआें को देश के हिन्दू साथ देंगे’, ऐसा डर उस समय के कट्टरपंथियों कोे था । अब यह डर नहीं रहा ।

ऐसा बताया जाता था कि पहले के #कट्टरपंथियों के नेता राजनीतिक अन्याय के कारण हाथ में पिस्तुल लेतेे थे; परंतु अभी के नेता ‘कश्मीर की लड़ाई’ यह ‘इस्लाम की लड़ाई है’ ऐसा खुलकर बताते हैं । इतना ही नहीं कश्मीर की समस्या को ‘#राजनीतिक समस्या’ समझनेवाले अलगाववादियों को भी मारने की धमकियां दी जाती हैं ।

🚩कश्मीर में केवल सेना के नियंत्रण में जो मंदिर हैं, वहीं शेष हैं । वहां #कट्टरपंथियों की कट्टरता बढ़ी है । वहां की कश्मीरी भाषा नष्ट कर ‘उर्दू’ भाषा की जड़ें जमाई जा रही हैं ।

🚩 #कश्मीर में यदि किसी चीज में परिवर्तन नहीं हुआ है, तो वह है सरकार का दृष्टिकोण !

🚩वहां की सरकार पहले के समान कट्टरपंथियों के साथ है । इस स्थिति को बदलने के लिए ‘पनून कश्मीर’के निर्माण की आवश्यकता है ।

आपको बता दें कि सनातन संस्था के अथाह प्रयास से अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में देश-भर के 150 #हिन्दू #संगठन इकट्ठे हुए थर जो हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं ।

अब देखते हैं कि हिन्दुत्वादी कहलाने वाली #सरकार द्वारा उनको कितना समर्थन मिलता है..???

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Monday, June 26, 2017

देववाणी संस्कृत से आई है मुसलमानों की 'नमाज

देववाणी संस्कृत से आई है मुसलमानों की 'नमाज 

जून 26,2017

संसार की समस्त प्राचीनतम भाषाओं में संस्कृत का सर्वोच्च स्थान है। विश्व-साहित्य की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद संस्कृत में ही रची गई है। संपूर्ण भारतीय संस्कृति, परंपरा और महत्वपूर्ण राज इसमें निहित हैं । अमरभाषा या देववाणी संस्कृत को जाने बिना भारतीय संस्कृति की महत्ता को जाना नहीं जा सकता। 
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संस्कृत भाषा से ही सभी भाषाओं की उत्पत्ति हुई है। दूसरे शब्दों में इसे भाषाओं की माँ माना गया है। 

प्राचीन काल से ही जनमानस से लेकर साहित्य की भाषा रही संस्कृत, कालांतर में करीब-करीब सुस्ता कर बैठ गई, जिसका एक मुख्य कारण है कि इसका समाज में महत्व न समझकर केवल पूजाघर में ही स्थापित कर दिया गया।

देववाणी संस्कृत भाषा तो जिस संस्कृति और परिवेश में जाती है, उसे अपना कुछ न कुछ देकर ही आती है।

वैदिक संस्कृत जिस बेलागपन से समाज के क्रिया-कलापों को परिभाषित करती थी उतने ही अपनेपन के साथ दूरदराज के समाजों में भी उसका उठना बैठना था। जिस जगह विचरती उस स्थान का नामकरण कर देती।
दजला और फरात के भूभाग से गुजरी तो उस स्थान का नामकरण ही कर दिया । हरे भरे खुशहाल शहर को 'भगवान प्रदत्त' कह डाला। संस्कृत का भगः शब्द फारसी अवेस्ता में "बग" हो गया और दत्त हो गया "दाद" और बन गया बगदाद।

अफगान का अश्वक से नाता

इसी प्रकार संस्कृत का "अश्वक" प्राकृत में बदला "आवगन" और फारसी में पल्टी मारकर "अफगान" हो गया और साथ में स्थान का प्रत्यय "स्तान" में बदलकर मिला दिया और बना दिया हिंद का पड़ोसी अफगानिस्तान -यानी निपुण घुड़सवारों की निवास-स्थली।

स्थान ही नहीं, संस्कृत तो किसी के भी पूजाघरों में जाने से नहीं कतराती क्योंकि वह तो यह मानती है कि ईश्वर का एक नाम अक्षर भी तो है। अ-क्षर यानी जिसका क्षरण न होता हो।

इस्लाम की पूजा पद्धति का नाम यूँ तो कुरान में सलात है लेकिन मुसलमान इसे नमाज के नाम से जानते और अदा भी करते हैं। नमाज शब्द संस्कृत धातु नमस् से बना है।

इसका पहला उपयोग ऋगवेद में हुआ है और अर्थ होता है- आदर और भक्ति में झुक जाना। श्रीमद्भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय के इस श्लोक को देखें - नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते।

इस संस्कृत शब्द नमस् की यात्रा भारत से होती हुई ईरान पहुंची जहाँ प्राचीन फारसी अवेस्ता उसे नमाज पुकारने लगी और आखिरकार तुर्की, आजरबैजान, तुर्केमानिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, बर्मा, इंडोनेशिया और मलेशिया के मुसलामानों के दिलों में घर कर गई।

देववाणी संस्कृत ने पछुवा हवा बनकर पश्चिम का ही रुख नहीं किया बल्कि यह पुरवाई बनकर भी बही ।  चीनियों को "मौन" शब्द देकर उनके अंतस को भी "छू" गई।

चीनी भाषा में ध्यानमग्न खामोशी को मौन कहा जाता है और स्पर्श को छू कहकर पुकारा जाता है।
 
देश-विदेश के कई बड़े विद्वान संस्कृत के अनुपम और विपुल साहित्य को देखकर चकित रह गए हैं। कई विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक रीति से इसका अध्ययन किया और गहरी गवेषणा की है। समस्त भारतीय भाषाओं को जोड़ने वाली कड़ी यदि कोई भाषा है तो वह संस्कृत ही है।

स्वामी #विवेकानंदजी के शब्द हैं : ‘#संस्कृत शब्दों की ध्वनिमात्र से इस जाति को शक्ति, बल और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है ।'

#संस्कृत-ज्ञान से प्रभावित #विलियम_थियॉडोर का कहना है कि ‘#भारत तथा संसार का उद्धार और सुरक्षा #संस्कृत-ज्ञान के द्वारा ही संभव है ।'


संस्कृत की भाषा विशिष्टता को समझकर Saint James Independent school नामक लन्दन के बीच बनी एक पाठशाला ने अपने जूनियर डिविजन में इसकी शिक्षा को अनिवार्य बना दिया है। 


#Oxford_University के डॉक्टर जोसफ अनुसार संस्कृत विश्व की सर्वाधिक पूर्ण, परिमार्जित एवं तर्कसंगत भाषा है। यह एकमात्र ऐसी भाषा है जिसका नाम उसे बोलने वालों के नाम पर आधारित नहीं है। वरन संस्कृत शब्द का अर्थ ही है "पूर्ण भाषा"। 

न्यूजीलैंड के शहर #अॉकलैंड के माउंट इडेन क्षेत्र में स्थित इस पाठशाला में संस्कृत भाषा ही पढ़ाई जाती है वहाँ के प्रिंसिपल पीटर क्राम्पटन कहते हैं कि, दुनियाँ की कोई भी भाषा सीखने के लिए #संस्कृत भाषा आधार का काम करती है। 

संस्कृत का अध्ययन मनुष्य को सूक्ष्म विचारशक्ति प्रदान करता है । मन स्वाभाविक ही अंतर्मुख होने लगता है । इसका अध्ययन मौलिक चिंतन को जन्म देता है । #संस्कृत भाषा के पहले की कोई अन्य भाषा, संस्कृत वर्णमाला के पहले की कोई अन्य वर्णमाला देखने-सुनने में नहीं आती । इसका व्याकरण भी अद्भुत है । ऐसा सर्वांगपूर्ण व्याकरण जगत की किसी भी अन्य भाषा में देखने में नहीं आता । यह संसार भर की भाषाओं में #प्राचीनतम और समृद्धतम है ।

आज #आवश्यकता है संस्कृत के विभिन्न आयामों पर फिर से नवीन ढंग से अनुसन्धान करने की, इसके प्रति जनमानस में जागृति लाने की; क्योंकि संस्कृत हमारी संस्कृति का प्रतीक है। संस्कृति की रक्षा एवं विकास के लिए संस्कृत को महत्त्व प्रदान करना आवश्यक है। इस विरासत को हमें पुनः शिरोधार्य करना होगा तभी इसका विकास एवं उत्थान संभव है।

भारतीय संस्कृति की सुरक्षा, चरित्रवान नागरिकों के निर्माण, प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति एवं विश्वशांति हेतु संस्कृत का अध्ययन अवश्य होना चाहिए ।

अमेरिका के  नेता राजन झेद ने कहा है कि, संस्कृत को सही स्थान दिलाने की आवश्यकता है। एक ओर तो सम्पूर्ण विश्व में संस्कृत भाषा का महत्व बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत में संस्कृत भाषा के विस्तार हेतु ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं जिसके कारण भारत में ही संस्कृत का #विस्तार नहीं हो पा रहा है और संस्कृत भाषा के महत्व से लोग #अज्ञात हैं ।

अब केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों को सभी स्कूलों, कॉलेजों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना चाहिए जिससे बच्चों की बुद्धिशक्ति के विकास के साथ साथ बच्चे सुसंस्कारी बने और सर्वागीण विकास हो ।


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Sunday, June 25, 2017

हिंदी पर करें गर्व, अंग्रेजी के पीछे दौड़ना दुर्भाग्यपूर्ण: वेंकैया नायडू

हिंदी पर करें गर्व, अंग्रेजी के पीछे दौड़ना दुर्भाग्यपूर्ण: वेंकैया नायडू

जून,25, 2017

शनिवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू अहमदाबाद के साबरमती गांधी आश्रम में गांधीजी के जीवन के 100 अलग-अलग प्रसंगों पर बनी पुस्तक का लोकार्पण करने पहुंचे थे । यह किताब #गांधी के जीवन पर लिखी गई । किताब अंग्रेजी में होने के बाद, उन्होंने कहा कि हमारी देश में जिस तरह से लोग अंग्रेजी भाषा के पीछे दौड़ रहे हैं, वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारी मातृभाषा हमारी पहचान है,  हमें इस पर गर्व होना चाहिए।

🚩 #वेंकैया_नायडू ने आज की शिक्षा प्रणाली और उसमें इस्तेमाल होती अंग्रेजी भाषा पर भी कई सवाल खड़े किए । उन्होंने कहा कि हमारे देश में #शिक्षा में #मातृभाषा और #राष्ट्रभाषा पर महत्व देना चाहिए। जिस तरह से अभिभावक अग्रेंजी भाषा को लेकर बच्चों पर जोर डालते हैं वो ठीक नहीं है।
hindi national language

🚩 उन्होंने अपने राजनीतिक संघर्ष के बारे में बात करते हुए कहा कि, वो नेल्लूर में #हिंदी विरोधी अभियान में जुड़ें थे और मातृभाषा के लिये हिंदी भाषा के बोर्ड पर कालिक पोती थी। हांलाकि जब वो 1993 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय #महामंत्री बने तब पता चला कि कालिक हिन्दी पर नहीं बल्कि उन्होंने अपने सर पर लगाई थी ।


🚩अंग्रेजी भाषा के #मूल शब्द लगभग 10,000 हैं, जबकि हिन्दी के मूल# शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक है। #संसार की #उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित #भाषा है। 

🚩#हिंदी दुनिया की सबसे #अधिक# बोली जाने वाली भाषा है । लेकिन अभी तक हम इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बना पाए।

🚩हिंदी दुनिया की #सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से #एक है । वह सच्चे अर्थों में #विश्व भाषा बनने की #पूर्ण अधिकारी है । हिंदी का #शब्दकोष बहुत विशाल #है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों #शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा में नही है । 

🚩हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त #देवनागरी लिपि #अत्यन्त वैज्ञानिक है । हिन्दी को #संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन #शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। 

🚩आज उन# मैकाले की वजह से ही हमने अपनी मानसिक गुलामी बना ली है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता । हमें हिंदी भाषा का महत्व समझकर उपयोग करना चाहिए ।

🚩#मदन मोहन मालवीयजी ने 1898 में सर एंटोनी #मैकडोनेल के सम्मुख हिंदी भाषा की प्रमुखता को बताते हुए, कचहरियों में हिन्दी भाषा को प्रवेश दिलाया ।

🚩#लोकमान्य तिलकजी #ने हिन्दी भाषा को खूब प्रोत्साहित किया । 

वे कहते थे : ‘‘ अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए बच्चों को सात-आठ वर्ष तक अंग्रेजी पढ़नी पड़ती है । जीवन के ये आठ वर्ष कम नहीं होते । ऐसी स्थिति विश्व के किसी और देश में नहीं है । ऐसी #शिक्षा-प्रणाली किसी भी #सभ्य देश में नहीं पायी जाती ।’’ जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार #समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो #तो किसी-न-किसी को तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवा बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा #समाज चल पड़ता है । 

🚩हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ# सम्मान और गौरव# दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल चालू करनी चाहिए ।

 🚩एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है । हमें अपने #दैनिक जीवन# में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा अथवा #हिन्दी का प्रयोग# करना चाहिए । 

🚩#राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतराष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं #राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन# बननी चाहिए ।

🚩 जब कमाल पाशा #अरब देश में तुर्की भाषा को लागू करने के लिए अधिकारियों की कुछ दिन की मोहलत  ठुकराकर रातों रात परिवर्तन कर सकते हैं तो हमारे लिए क्या यह असम्भव है  ?  

🚩आज सारे संसार की आशादृष्टि भारत पर टिकी है । हिन्दी की संस्कृति केवल देशीय नहीं सार्वलौकिक है क्योंकि #अनेक राष्ट्र ऐसे हैं जिनकी भाषा हिन्दी के उतनी करीब है जितनी भारत के अनेक राज्यों की भी नहीं है । इसलिए हिन्दी की संस्कृति को #विश्व को अपना #अंशदान करना है ।

🚩#राष्ट्रभाषा राष्ट्र का गौरव है# । इसे अपनाना और इसकी अभिवृद्धि करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है । यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की नींव है । आओ, इसे सुदृढ़ बनाकर राष्ट्ररूपी भवन की सुरक्षा करें । 


🚩स्वभाषा की महत्ता बताते हुए #हिन्दू संत  आसारामजी बापू कहते हैं : ‘‘मैं तो जापानियों को #धन्यवाद दूँगा । वे अमेरिका में जाते हैं तो वहाँ भी अपनी मातृभाषा में ही बातें करते हैं । ...और हम भारतवासी!
#भारत में रहते हैं फिर भी अपनी हिन्दी, गुजराती, मराठी आदि भाषाओं में अंग्रेजी के शब्द बोलने लगते हैं । आदत जो पड़ गयी है ! आजादी मिले 70 वर्ष से भी अधिक समय हो गया, बाहरी गुलामी की जंजीर तो छूटी लेकिन भीतरी गुलामी, दिमागी गुलामी अभी तक नहीं गयी ।’’ 

🚩#अंग्रेजी भाषा के #दुष्परिणाम

🚩#विदेशी शासन #के अनेक दोषों में देश के नौजवानों पर डाला गया #विदेशी भाषा के #माध्यम का घातक बोझ इतिहास में एक सबसे बड़ा दोष माना जायेगा। इस माध्यम ने राष्ट्र की शक्ति हर ली है, विद्यार्थियों की आयु घटा दी है, उन्हें आम जनता से दूर कर दिया है और शिक्षण को बिना कारण खर्चीला बना दिया है। अगर यह प्रक्रिया अब भी जारी रही तो वह राष्ट्र की आत्मा को नष्ट कर देगी। इसलिए शिक्षित भारतीय जितनी जल्दी विदेशी माध्यम के भयंकर वशीकरण से बाहर निकल जायें उतना ही उनको और #जनता को लाभ होगा।


🚩अपनी मातृभाषा की गरिमा को पहचानें । अपने बच्चों को अंग्रेजी#(कन्वेंट स्कूलो) में शिक्षा दिलाकर उनके विकास को# अवरुद्ध न करें । उन्हें मातृभाषा(गुरुकुलों) में पढ़ने की स्वतंत्रता देकर उनके चहुमुखी #विकास में सहभागी बनें ।

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