Wednesday, July 12, 2017

हिन्दुस्तान में हिन्दू अपने को सुरक्षित महसूस नही कर पा रहे हैं..!!


जुलाई 11, 2017

 हिन्दुस्तान में 80% से अधिक हिन्दू हैं और हिंदुत्ववादी सरकार है फिर भी हिन्दू खुद को सुरक्षित महसूस नही कर रहे , कश्मीर में अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमला हुआ, मानसरोवर यात्रा रोकी गई, केरल और तमिलनाडु में हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है, बंगाल जल रहा है ।

भारत में हज यात्रा के समय सरकार द्वारा 826 करोड़ रुपये सब्सिडी मिलती है उसमें एक भी आतंकी हमला नही होता है ।
caste discrimination

 #अमरनाथ यात्री #टैक्स देकर जाते हैं फिर भी आतंकी हमला होता है, हिन्दुस्तान में ही हिंदुओं को पूर्ण अधिकार नही मिल पा रहा है । अपने आराध्य देव के दर्शन करने को भी सुरक्षित नही जा पा रहे हैं ।

जनता अब बोल रही है कि मोदीजी अब केवल निंदा करना बंद करो और अमरनाथ यात्रियों पर आक्रमण करने वालों को उनकी भाषा में उत्तर दो !

पिछले साल 2016 में हुई #अमरनाथ #यात्रा से लौटकर आये यात्रियों का हाल सुन हर #हिंदुस्तानी की आँखे भर आयेगी...!!!

भगवान #भोलेनाथ के भक्तों ने वापिस लौटकर बताया था कि आततायी उन्हें पूछ-पूछ कर मार रहे थे कि अमरनाथ यात्री हो, #हिंदू हो या #कश्मीरी। 

वाहनों के नंबर देखकर पत्थर मारना शुरू कर देते थे। गालीगलौज भी कर रहे थे। बचने का कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा था, इसलिए गालियाँ, बदसलूकी व मारपीट भी बर्दाश्त की और किसी तरह से सेना के कैंपों में पहुँचकर अपनी जान बचाई ।

#सहारनपुर(उ.प्र) की 18 साल की सुहाना ने बताया कि मनीगाम के पास अचानक से उन पर पथराव शुरू हो गया। कुछ युवक उनके पास आए और मारपीट शुरू कर दी। किसी तरह से उनके आगे हाथ जोड़कर वे लोग आगे बढ़े और थोड़ी दूर सेना के कैंप में पहुँच कर अपनी जान बचाई। 

सुहाना को घर आने के बाद भी सड़कों पर हर तरफ बिखरे पत्थर, घरों में लगी आग, पंजाबी ढाबों पर तोड़फोड़ और आग का मंजर याद आ रहा था ।

अमरनाथ से लौटे #गाजियाबाद के कुलदीप कुमार ने बताया था कि वे लोग तीन दिन बालटाल में रुके रहे। रात को 11 बजे उन्हें वहां से जाने को कहा गया। सोमवार को सुबह पांच बजे अनंतनाग के पास पहुंचे। यहां घात लगाकर बैठे पत्थरबाजों ने उनके वाहन पर पथराव शुरू कर दिया ।

#राजस्थान से आए दीनानाथ ने बताया था कि बालटाल से आते वक्त भी रास्ते में हर जगह पथराव किया गया। अब सेना भी वहाँ रुकने नहीं दे रही थी। रात को ही उन्हें वहाँ से #जम्मू निकलने के लिए बोल दिया गया था । 

कश्मीर से लौटे #यात्रियों ने बताया था कि उनको #मिलिट्री बेेस कैंप में शरण नहीं मिलती तो सुरक्षित जम्मू नहीं पहुँच सकते थे। घाटी मेें जो मंजर उन्होंने देखा है, वह पूरी उम्र नहीं भुलाया जा सकता ।

#नागपुर #महाराष्ट्र के मंगेश और विट्ठल ने बताया था कि पहलगाम में पत्थरबाजों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प शुरू हो गई। समझ में नहीं आया कि अब कहां जाए,लेकिन सबको #मिलिट्री बेस कैंप में शरण मिल गई तो जान बच गई । जब वहाँ से निकले तब सड़क पर सिर्फ पत्थर व लकड़ियाँ दिखाई दे रही थी।

#भोपाल की मीरा बाई और अतुल ने बताया था कि घाटी का मंजर उनके लिए भुलाना मुश्किल है। 

ट्रक चालक कमलजीत सिंह का कहना है कि 8 जुलाई को बिजबिहाड़ा में शाम को जैसे ही पहुँचा तो टाटा सूमो से उतरे कुछ युवकों ने उसके ट्रक पर पथराव शुरू कर दिया। एक पत्थर शीशे को तोड़ता हुआ उसके चेहरे पर आकर लगा। 

इसके बाद कुछ युवकों ने उसे ट्रक से नीचे उतारा और डंडों से पीटना शुरू कर दिया। इससे उसकी बाजू पर गहरी चोट आई। देखते ही देखते कुछ युवक आपस में ट्रक जलाने की बात करने लगे तो वह मुश्किल से वहां से भागा ।

कमलजीत का कहना था कि कश्मीर की सड़कें जले हुए टायर और पत्थरों से भरी पड़ी हैं। वह जम्मू के अन्य चालकों को भी पीट रहे हैं।  

मनिंदर सिंह ने बताया था कि मैं अपने छोटे भाई किशन के साथ आठ जुलाई को सुबह 10 बजे की फ्लाइट से दिल्ली से श्रीनगर के लिए निकला था। उसी दिन आतंकी बुरहान मारा गया था।  शाम होने तक #श्रीनगर में #कर्फ्यू लगा दिया गया। पोस्टपेड मोबाइल भी बंद कर दिए गए। फिर भी नौ जुलाई को किसी तरह अमरनाथ पहुंचे और दर्शन किये । 

उस वक्त तक #श्रीनगर में बवाल काफी बढ़ गया था। वहां से आने के रास्ते को बंद कर दिया गया था। हम लोग बालटाल स्थित एक होटल पहुंचे। वहां की लाइट बंद कर दी गई। होटल वाले ने जनरेटर चलाने से भी मना कर दिया। किसी तरह रात बिताई। 

10 जुलाई 2016 को देर रात हम लोग वहां से घर वापसी के लिए निकले। रास्ते में पत्थरबाजी होती रही। हमारी टैक्सी पर भी पत्थर लगे। कार के शीशे टूट गए। उसके कांच से मेरे हाथ पर जख्म भी हुए ।

इसके बाद फिर सोनमार्ग में रोक दिया गया। कर्फ्यू के बावजूद आर्मी वाले थोड़े-थोड़े समय पर ढील देकर यात्रियों को आगे भेज रहे थे। रात करीब ढाई बजे हम दोनों एयरपोर्ट पहुंच गए। 

#एयरपोर्ट के बाहर भी चार से पांच हजार यात्री जमीन पर लेटे हुए थे। वहां कोई सरकारी मदद नहीं मिल रही थी। यहां तक कि पानी का भी इंतजाम नहीं था। चाय 60 रुपये की एक कप मिल रही थी। 

खाने की कोई व्यवस्था नहीं। बड़ी मुश्किल से 11 जुलाई को दोपहर में हमें फ्लाइट मिली और #दिल्ली वापस पहुंचे, तब जाकर जान में जान आई। 

मेरे लिए इस बार की अमरनाथ यात्रा किसी सदमें से कम नहीं थी। न खाने की सुविधा न ठहरने की। न प्रशासन की तरफ से और न श्राइन बोर्ड की ओर से कोई सहायता मिली। सिर्फ सेना की मदद से सुरक्षित घर लौटे हैं। 

आश्चर्य!!! ये क्या कह रहे थे अमरनाथ में बाबा के दर्शन करने गए #दर्शनार्थी....???

 हम हिंदुस्तान में रह रहे हैं या पाकिस्तान में...???

क्या पाकिस्तान में हिन्दू ऐसा कहर बरसा सकते हैं मुसलमानों पर...???

क्यों हमारे ही देश में रहकर हमारे ही हिंदुओं पर आज अत्याचार हो रहा है...???

कहाँ है हिन्दू की रक्षा करने का दावा करने वाली हिंदुत्वादी #सरकार..???

पूरे विश्व में जिस महान #संस्कृति ने सुख शांति, समानता और एकता का पाठ पढ़ाया ,आज उसी संस्कृति की जड़ें काटनेे का काम हो रहा है देश में...!!!

आज हम अपने ही देश में पराये होते जा रहे हैं ।भले सरकार बदली, #कांग्रेस से #BJP आयी, पर हिंदुओं पर अत्याचार तब भी हो रहा था और आज भी हो रहा है...!!!

हज करने वालों को सरकार सब्सिडी देती है पर #अमरनाथ यात्रियों को विकट परिस्थितियों में भी सुविधा प्रदान नही करती...!!!

ऐसे अत्याचारों पर हिंदुओं को ही एकजुट होकर अन्याय से खिलाफ आवाज उठानी होगी ।

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