Friday, November 24, 2017

जोधपुर न्यायालय में आसारामजी बापू के केस को लेकर कई खुलासे सामने आ रहे हैं


November 24, 2017

जोधपुर : चार साल तीन महीने से जोधपुर में जारी हिन्दू धर्मगुरु बापू आसारामजी प्रकरण की सुनवाई अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। सभी गवाह के बयान पूरे हो चुके हैं, अब दोनों पक्षों के बीच अंतिम बहस शुरू हो चुकी है। बचाव पक्ष की ओर से एक से एक खुलासे हो रहे हैं। 

बचाव पक्ष ने कई चौकाने वाले खुलासे....

बापू आसारामजी के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणाजी ने नया तथ्य पेश करते हुए कहा कि लड़की की मां बापू आसारामजी को दिल्ली में ही गिरफ्तार कराना चाहती थी।
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लड़की तथा उसकी मां कार से दिल्ली पहुंची तथा वहां कमला नेहरू मार्केट स्थित पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज करवाई। अधिवक्ता सुराणाजी ने कहा कि इस मामले की मुख्य अनुसंधान अधिकारी रही चंचल मिश्रा ने अपने बयान में कहा था कि लड़की की मां बापू आसारामजी को दिल्ली में ही गिरफ्तार कराना चाहती थी। 

अधिवक्ता ने पुलिस पर संवैधानिक प्रावधानों को ताक पर रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि घटना 14 व 15 अगस्त 2013 रात की बताई जा रही है। जोधपुर में घटी इस तथाकथित घटना के सम्बन्ध में रिपोर्ट 600 किलोमीटर दूर दिल्ली में 19 अगस्त को लिखवाई गई। 

5 दिन के बाद FIR क्यों? उसके बाद रिपोर्ट अज्ञात कारणों से न्यायालय में दो दिन बाद 21 अगस्त को पेश की गई। इस तरह पूरा मामला बनाया हुआ, झूठा तथा संदिग्ध तरीके से साजिश के तहत तैयार किया हुआ लगता है।

अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने न्यायालय में बहस के दौरान यह तर्क भी दिया कि मेडिकल जांच के दौरान लड़की की आयु सम्बन्धी जांच भी की जानी चाहिए, लेकिन तत्कालीन अनुसंधान अधिकारी रही चंचल मिश्रा ने यह जांच नहीं करवाई। ऐसे मामले में उम्र की जांच नहीं करवाना आयु निर्धारण सम्बन्धी नियम 164अ(2) के विरूद्ध है।

मीडिया में बताते हुए सज्जनराज सुराणा ने कहा कि धारा 164-A CRPC  के ऊपर argument चालू हुई। उसमें ये कहा गया कि 174-A का Clause 2 का 2 है उसमें age के लिए describe किया गया है। ये जो डॉक्टर होगा, मेडिकल examination होगा उसकी age के बारे में determination करेंगे। अगर age के बारे में determination करेंगे तो उसका X-ray होना जरूरी था ossification of bones  ताकि उससे उम्र तय की जा सके। आजकल तो scientifically इतना development हो गया है कि हमारे ब्लड ग्रुप है वो 200 तक निकल आये है और 19,000 जो हमारी gens है, उसके बारे में हो चुकी है और ऐसे apparatus और machines आ गयी है कि age का determination हो सकता है उसमें । परंतु उन्होंने age का determination दो doctors से examine करवाने के बाद भी नही किया। जब कि ये 164 A में mandatory था। डॉक्टर के पास में victim जाता है तो उसका age का determination हो सकता है। उस बात को खत्म करने के लिए कि ये लड़की जो है वो 19-20 साल से भी ज्यादा है उस बात को उन्होंने temper with किया। अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से जिरह के दौरान भी ये पूछा गया कि जब खरोंच का निशान तक नहीं था तब मामला कैसे बना, लेकिन वो जवाब नहीं दे पाई ।


दूसरी बात - हमने सुप्रीम कोर्ट के Order से क्योंकि Trial Court ने हमारी 91 की Application को reject कर दिया था, High court ने रिजेक्ट कर दिया था। उसके बाद Petition सुप्रीम कोर्ट में लगा। 3 जजों ने आर्डर पास किया कि LIC Policy जो सुनीता सिंह जो Prosecutrix की Mother है, उसने करवाई है, उसको न्यायालय में पेश करवाया जाए, न्यायालय के आदेश से वो Insurance Policy  न्यायालय के अंदर पेश हुई। सुनीता सिंह से पूछा गया इसके अंदर जो Date of Birth है वो 1-7-94 है उसके बारे में क्या कहना है ? और इसके ऊपर आपके 3 जगह हस्ताक्षर हो रहे हैं। आपने declaration दे रखा है कि जो-जो facts इसमें बताये गए हैं, सही बताये गए हैं। उसने स्वीकार किया कि हाँ, मैने दस्तख़त किये हैं और इसका Insurance का पैसा वो भी उठा लिया मैंने ।

तो हमने कहा कि अगर हम इस हस्ताक्षर को मान लेते है तो ये सारा केस जो है catch it about of the back की श्रेणी में आएगा । Pocso Act लग ही नहीं सकता इस मामले में, जबकि document मौजूद है। इसके ऊपर तो पॉक्सो एक्ट चल ही नहीं सकता, इसके ऊपर अगर पॉक्सो एक्ट चल ही नहीं सकता तो मुकदमा किस बात का चल रहा है ?? 

PW2 के बयान चल रहे थे, इसमें कहा है कि, मैने जो FIR रजिस्टर होता है उसके अंदर उसको मिटाने के लिए मैंने उसके ऊपर कलर लगाया। FIR नंबर 121/2013 थी उसको खत्म किया। वही कॉपी न्यायालय में भेज दी गई और 154 जो Register Maintain  होता ह उसके ऊपर ROAC लिखा रहता है और उसके ऊपर Prosecutrix के दस्तखत होते हैं उसके ऊपर दस्तख़त नहीं है Prosecutrix के। इन्होंने जो ओरिजनल FIR है उसको बदल डाला या यहाँ तक कि लड़की के दस्तख़त नहीं करवाते जो Mandatory Provision  है 154 में और जो पुलिस रूल्स बने हुए हैं उसमें Mandatory Provision है कि prosecutrix के हस्ताक्षर होंगे या अंगूठा होगा उसके ऊपर लिखा हुआ है "read over and accepted to be correct" जब ऐसा column है तो फिर क्यों नहीं किया है ? इसलिए ये जो सारा जो मुकदमा चल रहा है वो न तो पॉक्सो एक्ट में आ रहा है, न 375-D के अंदर फॉलो हो रहा है और इस प्रकार से बापूजी की false imprisonment कोर्ट के सामने हो रही है।

अधिवक्ता सुराणा जी ने सनसनीखेज दावा किया कि लड़की का डाक्टरी मुआयना करने वाले दोनों डाक्टर ने अपने बयानों में यह स्वीकार किया था कि लड़की की मेडिकल जांच में किसी तरह की जबरदस्ती के सबूत नहीं थे। मेडिकल जांच में लड़की के साथ यौन दुराचार के सबूत भी नहीं मिले। यह बात उन्होने लड़की का मेडिकल करने वाले डाक्टर राजेंद्र कुमार तथा डाक्टर शैलजा के बयानों के आधार पर कही, जो उन्होंने मुख्य परीक्षण तथा जिरह के दौरान कही थी।

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा गुरुकुल में पढ़ने वाली लड़की ने बापू आशारामजी पर छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है लेकिन उनपर पॉक्सो तहत केस चलाया जा रहा है, लेकिन लड़की के अलग-अलग सर्टिफिकेट में अलग-अलग उम्र होने से पता चलता है कि बालिग है नाबालिग नहीं,  पॉक्सो के तहत केस गलत चलाया जा रहा है । और FIR में भी गड़बड़ी है जिससे पता चलता है कि यह केस किसी द्वारा उपजाऊ है । संत आसारामजी बापू को षड्यंत्र के तहत फंसाने की नींव कमला मार्किट थाने से रखी गई ।

सज्जनराज सुराणाजी ने बताया कि बापू आसारामजी को किसी सोची-समझी साजिश के तहत फंसाया गया है। समय अभाव के कारण अधूरी रही बहस शुक्रवार को फिर होगी।

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