Monday, December 4, 2017

मोमबत्तियाँ बुझाकर और केक काटकर जन्मदिन मनाते हो तो हो जाइये सावधान: अमेरिकी वैज्ञानिक


December 4, 2017 www.azaadbharat.org

वॉशिंगटन : वैज्ञानिकों का दावा है कि, केक पर लगी मोमबत्तियों को फूंक मारकर बुझाने से केक बैक्टीरिया से भर जाता है। अमेरिका की क्लेमसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा की जन्मदिन केक पर लगी मोमबत्तियाँ बुझाते समय केक पर थूक फैल जाता है जिसके कारण केक पर 1400% बैक्टीरिया बढ जाता है।

‘जर्नल ऑफ फूड रिसर्च’ में प्रकाशित इस स्टडी के शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘जन्मदिन मोमबत्तियाँ को फूंक मारकर बुझाने की परंपरा की शुरुआत के पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ मान्यताएं कहती हैं कि यह परंपरा प्राचीन ग्रीस में शुरू हुई जिसके तहत केक पर जली हुई मोमबत्ती लगाकर हंट की देवी आर्टिमिस के मंदिर ले जाया जाता था।’ तो वहीं कुछ दूसरी प्राचीन सभ्यताएं मानती हैं कि कैंडल बुझाने के बाद उससे निकलने वाला धुंआ आपकी मन्नत और प्रार्थनाओं को भगवान तक लेकर जाता है।
If you celebrate birthday by cutting candles and cutting cake, then be careful: American scientist

शोधकर्ताओं के अनुसार, इंसान के सांस में मौजूद बायोएरोसोल बैक्टीरिया का स्त्रोत है जो फूंक मारने पर केक की सतह पर फैल जाता है। इंसानों का मुहं बैक्टीरिया से भरा होता है। (स्त्रोत : हिन्दू जन जागृति)

हिन्दुआें पाश्चिमात्य संस्कृति का दुष्परिणाम ध्यान में लेकर हिन्दु संस्कृति के अनुसार जन्मदिन मनाए !

जन्मदिवस पर क्या करें ?

जन्मदिवस के अवसर पर महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए घी, दूध, शहद और दूर्वा घास के मिश्रण की आहुतियाँ डालते हुए हवन करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में कितने भी दुःख, कठिनाइयाँ, मुसीबतें हों या आप ग्रहबाधा से पीड़ित हों, उन सभी का प्रभाव शांत हो जायेगा और आपके जीवन में नया उत्साह आने लगेगा।

मार्कण्डेय ऋषि का नित्य सुमिरन करने वाला और संयम-सदाचार का पालन करने वाला व्यक्ति सौ वर्ष जी सकता है – ऐसा शास्त्रों में लिखा है। कोई एक तोला (11.5) ग्राम गोमूत्र लेकर उसमें देखते हुए सौ बार 'मार्कण्डेय' नाम का सुमिरन करके उसे पी ले तो उसे बुखार नहीं आता, उसकी बुद्धि तेज हो जाती है और शरीर में स्फूर्ति आती है।

अपने जन्मदिवस पर मार्कण्डेय तथा अन्य चिरंजीवी ऋषियों का सुमिरन, प्रार्थना करके एक पात्र में दो पल (93 ग्राम) दूध तथा थोड़ा-सा तिल व गुड़ मिलाकर पीये तो व्यक्ति दीर्घजीवी होता है। प्रार्थना करने का मंत्र हैः ॐ मार्कण्डेय महाभाग सप्तकरूपान्तजीवन।
चिरंजीवी यथा त्वं भो भविष्यामि तथा मुने।।
रूपवान् वित्तवांश्चैव श्रिया युक्तश्च सर्वदा।
आयुरारोग्यसिद्धयर्थ प्रसीद भगवन् मुने।।
चिरंजीवी यथा त्वं भो मुनीनां प्रवरो द्विजः।
कुरूष्व मुनिशार्दुल तथा मां चिरजीविनम्।।
नववर्षायुतं प्राप्य महता तपसा पुरा।
सप्तैकस्य कृतं येन आयु में सम्प्रयच्छतु।।
अथवा तो नींद खुलने पर अश्वत्थामा, राजा बलि, वेदव्यासजी, हनुमानजी, विभीषण, परशुरामजी, कृपाचार्यजी, मार्कण्डेयजी – इन चिरंजीवियों का सुमिरन करे तो वह निरोग रहता है।

जन्मदिन कैसे मनाएँ ?

जन्मदिवस के दिन बच्चा ‘केक’ पर लगी मोमबत्तियाँ जलाकर फिर फूँक मारकर बुझा देता है । जरा सोचिये, हम कैसी उलटी गंगा बहा रहे हैं ! जहाँ दीये जलने चाहिए वहाँ बुझा रहे हैं ! जहाँ शुद्ध चीज खानी चाहिए वहाँ फूँक मारकर उडे हुए थूक से जूठे, जीवाणुओं से दूषित हुए ‘केक' को बडे चाव से खा-खिला रहे हैं ! हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को उनके जन्मदिवस पर भारतीय संस्कार व पद्धति के अनुसार ही कार्य करना सिखायें ताकि इन मासूमों को हम अंग्रेज न बनाकर सम्माननीय भारतीय नागरिक बनायें । यह शरीर, जिसका जन्मदिवस मनाना है, पंचभूतों से बना है जिनके अलग-अलग रंग हैं । पृथ्वी का पीला, जल का सफेद, अग्नि का लाल, वायु का हरा व आकाश का नीला । थोडे-से चावल हल्दी, कुंकुम आदि उपरोक्त पाँच रंग के द्रव्यों से रँग लें । फिर उनसे स्वस्तिक बनायें और जितने वर्ष पूरे हुए हों, मान लो 4 उतने छोटे दीये स्वस्तिक पर रख दें तथा 5 वें वर्ष की शुरुआत के प्रतीक रूप में एक बडा दीया स्वस्तिक के मध्य में रखें । फिर घर के सदस्यों से सब दीये जलवायें तथा बडा दीया कुटुम्ब के श्रेष्ठ, ऊँची समझवाले, भक्तिभाववाले व्यक्ति से जलवायें । इसके बाद जिसका जन्मदिवस है, उसे सभी उपस्थित लोग शुभकामनाएँ दें । फिर आरती व प्रार्थना करें । 

अभिभावक एवं बच्चे ध्यान दें -  पार्टियों में फालतू का खर्च करने के बजाय बच्चों के हाथों से गरीबों में, अनाथालयों में भोजन, वस्त्र इत्यादि का वितरण करवाकर अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार डालें । लोगों से चीज-वस्तुएँ (गिफ्ट्स) लेने के बजाय अपने बच्चे को गरीबों को दान करना सिखायें ताकि उसमें लेने की नहीं अपितु देने की सुवृत्ति विकसित हो ।

जन्मदिवस पर बच्चे बडे-बुजुर्गों को प्रणाम करें, उनका आशीर्वाद पायें । बच्चे संकल्प करें कि आनेवाले वर्षों में पढाई, साधना, सत्कर्म आदि में सच्चाई और ईमानदारी से आगे बढकर अपने माता-पिता व देश का गौरव बढायेंगे । (स्त्रोत्र : संत आसारामजी बापू के प्रवचन से )

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