Wednesday, January 24, 2018

ऐतिहासिक पहल : जेलों में कैदियों को सुधारने के लिए दी जाएगी 'काऊ-थैरेपी'

January 24, 2018

गौ-सेवा से धन-सम्‍पत्ति, आरोग्‍य आदि मनुष्‍य-जीवन को सुखकर बनाने वाले सम्‍पूर्ण साधन सहज ही प्राप्‍त हो जाते हैं । मानव गौ की महिमा को समझकर उससे प्राप्त दूध, दही आदि पंचगव्यों का लाभ ले तथा अपने जीवन को स्वस्थ, सुखी बनाये, इस उद्देश्य से हमारे परम करुणावान ऋषियों-महापुरुषों ने गौ को माता का दर्जा दिया ।
गौधन बचाओ,गौ-रक्षा करो ऐसी बातें करने वाले तो बहुत लोग है पर हरियाण सरकार ने एक अनोखी पहल की । जिससे गौमाता तो बचेगी और साथ में कैदियों का भी उद्धार हो जायेगा ।
Historical Initiatives: 'Cau-Therapy' will be given to imprisoned prisoners

हरियाणा की छह जेलों में बंद कैदियों को अब काऊ थेरेपी दी जाएगी। इसके तहत कैदी गाय की सेवा करेंगे, गाय का शुद्ध दूध पीयेंगे। सरकार का दावा है कि गाय में जादुई शक्ति होती है, जिसके संपर्क में आकर कैदियों में सुधार आएगा। राज्य की जेलों में कैदियों की मानसिक और शारीरिक सेहत दुरुस्त रखने के लिए रीहैबिलिटेशन प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। काऊ थेरेपी इसी का हिस्सा है। 
6 जेलों के लिए 600 गाय मंगाई जाएंगी। गायों के लिए खलिहानों का निर्माण भी किया जाएगा। ये काम अगले महीने से शुरू होगा। पूरे कार्यक्रम के लिए 1 करोड़ 5 लाख रुपए का बजट भी तय किया गया है। 
हरियाणा के गौ सेवा आयोग के चैयरमैन भनी राम मंगला का कहना है कि- ‘गाए हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनमें एक जादुई शक्ति होती है, जिसके कई लाभ होते हैं। काऊ थेरेपी की मदद से कैदियों को अपराध की दुनिया से दूर करने में मदद मिलेगी। साथ ही गाय के लिए भी ये योजना फायदेमंद हो सकती है।’ 
जेल प्रशासन का दावा है कि- जेल में पाली जाने वाली गायों के शुद्ध दूध से कैदी शुद्ध हो जाएंगे। उनकी मानसिक स्थिति भी सकारात्मक होगी। गाय की सेवा करने से कैदियों को गाय की जादुई और सकारात्मक शक्ति के संपर्क में रहने का भी अवसर मिलेगा। साथ ही गाय के गोबर और गौमूत्र को लोकल मार्केट में बेचने का भी प्रबंध किया जाएगा। 
गौमूत्र में अस्थमा, डायबिटीज, आर्थराइटिस और हडि्डयों की कई और बीमारियों से बचाने का गुण होता है। इसके अलावा जेल परिसर में ही गायों के खाने के लिए चारा भी उगाया जाएगा। बायोगैस प्लांट लगाने का भी प्लान है। बहरहाल ये अपनी तरह का पहला प्रोग्राम है, जिसमें जेल के कैदियों द्वारा गायों के रखरखाव का ध्यान रखा जा रहा है। 
काऊ थेरेपी देने वाली पहली गौशाला करनाल जेल में बनाए जाने की योजना है। इसके बाद अंबाला, जींद, भिवानी, सोनीपत और रोहतक जेल में भी ऐसे ही प्रयोग किए जाएंगे। यूपी की भी आगरा और इलाहाबाद की जेलों में गौशाला बनाई जा सकती है। 
गौमाता परमोपयोगी
देशी गाय के दर्शन एवं स्पर्श से पवित्रता आती है, पापों का नाश होता है । गोधूलि (गाय की चरणरज) का तिलक करने से भाग्य की रेखाएँ बदल जाती हैं । ‘स्कंद पुराण’ में गौ-माता में सर्व तीर्थों और सभी देवताओं का निवास बताया गया है ।
गायों को घास देनेवाले का कल्याण होता है । स्वकल्याण चाहनेवाले गृहस्थों को गौ-सेवा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि गौ-सेवा में लगे हुए पुरुष को धन-सम्पत्ति, आरोग्य, संतान तथा मनुष्य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं । 
विश्व के लिए वरदानरूप : गोपालन
देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर व गोमूत्र सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए वरदानरूप हैं । दूध स्मरणशक्तिवर्धक, स्फूर्तिवर्धक, विटामिन्स और रोगप्रतिकारक शक्ति से भरपूर है । घी ओज-तेज प्रदान करता है । इसी प्रकार गोमूत्र कफ व वायु के रोग, पेट व यकृत (लीवर) आदि के रोग, जोड़ों के दर्द, गठिया, चर्मरोग आदि सभी रोगों के लिए एक उत्तम औषधि है । गाय के गोबर में कृमिनाशक शक्ति है । जिस घर में गोबर का लेपन होता है वहाँ हानिकारक जीवाणु प्रवेश नहीं कर सकते । पंचामृत व पंचगव्य का प्रयोग करके असाध्य रोगों से बचा जा सकता है । ये हमारे पाप-ताप भी दूर करते हैं । गाय से बहुमूल्य गोरोचन की प्राप्ति होती है ।
सभी भारतवासी गौ-माता का पालन करें औरों को भी प्रेरित करें क्योंकि गौ-माता स्वास्थ्य के साथ करोड़ों का रोजगार भी देने वाली है जिससे देश में स्वास्थ्य-सुख-शांति और समृद्धि बनी रहेगी ।

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