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Monday, January 30, 2017

बॉलीवुड में शुरू हुआ इस्लामीकरण !

बॉलीवुड में शुरू हुआ इस्लामीकरण!

क्या अब शाहरुख खान अब्दुल लतीफ के बाद  ‘ओसामा’ और ‘अफजल’ को भी हीरो बना देगा?


हाल ही में प्रदर्शित हुर्इ शाहरुख खान की फिल्म रईस गुजरात के शराब माफिया और आतंकवादी अब्दुल लतीफ के जीवन पर आधारित है। फिल्म में शाहरुख ने अब्दुल लतीफ की भूमिका निभायी है।
                      बॉलीवुड में शुरू हुआ इस्लामीकरण!

फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया ने इसे भले ही अस्वीकार किया हो, किंतु शाहरुख द्वारा फिल्म में पहने चश्मे का फ्रेम तक अब्दुल लतीफ की रियल लाइफ से लिया गया है, तो निर्देशक साहब का झूठ भी बेपर्दा हो चुका है।

1980 के दशक में अहमदाबाद में कई बार हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए। इन दंगों के बीच मुसलमानों को नेता मिला जिसका नाम था अब्दुल लतीफ, व्यवसाय से शराब माफिया, जिसे लेकर आज शाहरुख खान ने फिल्म बनार्इ है। 

असामाजिक गतिविधियों के आरोप में जेल में बंद लतीफ ने इसके बाद ही केवल 5 सीटों पर नगरपालिका चुनाव लड़ा आैर मुसलमानों के एक साथ मजबूत वोट बैंक के आधार पर जीत दर्ज की। इसके बाद गुजरात में हुई ढेरों हिन्दुओं की हत्याओं में वांछित और मुंबई बम धमाकों में अभियुक्त लतीफ 1992 में दुबई के रास्ते पाकिस्तान भाग गया था। किसी घटनाक्रम को अंजाम देने 1995 में वो भारत वापस आ गया। किंतु नवंबर 1995 में गुजरात आतंकवाद निरोधक दल ने लतीफ को पुरानी देहली के एक पीसीओ बूथ से गिरफ्तार कर लिया।

इसके बाद लतीफ करीब दो साल तक साबरमती जेल में रहा। फिर नवंबर 1997 में खबर मिली कि लतीफ ने भागने की कोशिश की और पुलिस मुठभेड में मारा गया। एक शराब माफिया एवं आतंकी अब्दुल लतीफ को पहले भारत के कानून ने चुनाव लड़ने का अधिकार दिया और अब शाहरुख खान जैसे पाकिस्तान परस्त अभिनेता उसे एक नायक की तरह प्रस्तुत कर रहे हैं।

भारत में जहां 20 साल से ज्यादा के परिश्रम से बनी एक संस्कृत फिल्म को साम्प्रदायिक कह कर रोक दिया जाता है, वहीं आतंकी दाउद और अब्दुल लतीफ को नायक के तौर पर दिखाने पर भी किसी को आपत्ति नहीं होती, यह भारत के लिए दुर्देव9 है।

इस सब के बीच भारत के कथित धर्मनिरपेक्षतावादी भी घुटने टेक देते है। तो वो दिन भी दूर नहीं जब ओसामा बिन लादेन को भी एक हीरो के तौर पर बॉलीवुड फिल्म में दिखाए और शाहरुख ही उसमें वो किरदार निभाए!


जब तक गुलशन कुमार थे तब तक हिंदुत्व का खूब बोलबाला था व इस्लामी करण नही हो पा रहा था इसलिए उनकी हत्या करवा दी गई । अब हिन्दू धर्म को अपमानित करने वाली बहुत सारी फिल्में बन रही है और उसके खिलाफ कोई बोलने वाला भी नही है ।
यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है कि सेंसर बोर्ड भी ऐसी फिल्मों को पास करता क्यों है..??


आज तक औरंगजेब, तैमूर, गजनी आदि की असलियत पर फिल्म क्यों नही बनाई जाती है ???

जिस पद्मावती ने स्वाभिमान के लिए जौहर किया उसके इतिहास के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करके फिल्म ‘पद्मावती’ निदेशक संजय लीला भंसाली बना रहा था उससे करणी सेना के कार्यकर्ताआें ने मारपीट की तो भंसाली हिंदुओं को आतंकवादी कहने लगा लेकिन बंगाल में कितने हिन्दुओ के घर तोड़ दिए बहु-बहनो की इज्जत लूटी, मार पीट की तब भंसाली को आतंकवाद क्यों नही दिखाई दिया???

संगठन करणी सेना ने कहा है कि, संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म पद्मावती में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच एक बेहद आपत्तिजनक दृश्य डाला है।। इस दृश्य में अलाउद्दीन खिलजी एक सपना देखता है जिसमें वो रानी पद्मावती के साथ है।। करणी सेना का दावा है कि वास्तव में खिलजी और पद्मावती ने कभी एक दूसरे को आमने सामने देखा तक नहीं और इतिहास के किसी पुस्तक में भी इस तरह के किसी सपने का कोई उल्लेख नहीं है।

करणी सेना का दावा है कि, रानी पद्मावती राजपूत थी और उनकी छवि फिल्म में गलत तरीके से दिखाई गई इसलिए उन्होंने विरोध प्रदर्शन भी किया।

भारतीय संस्कृति को तोड़ने का बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है ।

 बॉलीवुड में इस्लामी धर्म को बढ़ावा देकर हिन्दू संस्कृति को तोड़ने का कार्य पूरे जोर-शोर से चल रहा है।

हिंदुस्तानी सावधान रहें ।

Sunday, December 11, 2016

कश्मीर के एेतिहासिक हिन्दू वास्तुआें के हो रहे इस्लामीकरण पर कब तक सोता रहेगा हिन्दू..???


जम्मू-कश्मीर में हिन्दुआें के ऐतिहासिक स्थानों के नाम परिवर्तित किए जा रहे हैं । यहां पहले ऐसी स्थिति नहीं थी; परंतु कुछ महीनों से बहुत कुछ हो रहा है । 


आइये जाने कि कश्मीर में क्या-क्या परिवर्तित हुआ और क्या-क्या परिवर्तित होनेवाला है!!
कश्मीर के एेतिहासिक हिन्दू वास्तुआें के हो रहे इस्लामीकरण पर कब तक सोता रहेगा हिन्दू..???


1. श्रीनगर में गोपाद्री पहाड़ी है । कश्मीर यात्रा के समय आदि शंकराचार्यजी ने इस पहाड़ी पर अनेक वर्ष तपस्या की थी । इसलिए सैकड़ों वर्ष पहले ही लोगों ने इस पहाड़ी का नाम शंकराचार्य पहाड़ी रखा था । ऐसी जानकारी सरकारी दस्तावेजों में भी
है; परंतु अब इसका नाम ‘सुलेमान टापू’ रखा गया है । विशेष बात तो यह है कि भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भी यहां सुलेमान टापू नाम का फलक लगाया है ।

2. श्रीनगर में हरि पर्वत है । अब उसका नाम परिवर्तित कर कोह महारन अर्थात दुष्टों का पर्वत रखा गया है ।

3. कश्मीर के अनंतनाग को वहां के लोग इस्लामाबाद कहने लगे हैं । अनंतनाग का नाम हटाने के लिए लोगों ने आंदोलन आरंभ किया है।

4. अनंतनाग में उमानगरी नामक विख्यात तीर्थस्थान है। इसका नाम भी परिवर्तित कर शेखपुरा किया गया है ।

5. यहां की सरकार अब श्रीनगर नाम भी नहीं चाहती है । इस नगर का नाम शहर-ए-खास रखने के लिए राज्य सरकार ने कई बार चर्चा भी की है ।

6. श्रीनगर के जिस चौराहे में जामा मस्जिद है, उस चौराहे का हिन्दू नाम परिवर्तित कर मदिना चौराहा रखा गया है ।

7. कश्मीर घाटी में बहनेवाली किशनगंगा नदी को अब दरिया-ए-नीलम कहा जा रहा है ।

मीडिया यह सब दिखाने के लिए तैयार नहीं है । केवल कश्मीरी पंडित (हिन्दू) ही यह लड़ाई लड़ रहे हैं ।

अनेक वर्षों से यहां विद्यमान हिन्दू संस्कृति नष्ट की जा रही है । यदि देशवासी अब जागृत नहीं हुए, तो भविष्य में उन्हें माता रानी के दर्शन के लिए अनुज्ञप्तिपत्र और पारपत्र (पासपोर्ट) लेकर आना )पड़ेगा

क्या वैष्णोदेवी का नाम परिवर्तित होने पर ही आप जागृत होनेवाले हैं..???

पहले भी भारत में मुगल शासन काल में शहरों, गांव आदि के नाम बदले गये उसके बाद अंग्रेज आये उन्होंने भी कई शहरों, गाँव आदि के नाम बदले ।

जब तक भारत गुलाम था तब तक तो ठीक था लेकिन बड़ी विडंबना तो यह है कि भारत आजाद होने के बाद भी हमारे पुराने नाम वापिस नही बदले गये । आजादी को 70 साल हो गए लेकिन आज भी वही नाम चल रहे हैं,बदले नही जा रहे । जिन क्रूर मुगलों ने हमारी बहनों-बेटियों का बलात्कार किया । तलवार की नोंक पर धर्मपरिवर्तन करवाया उन्हीं के नाम से शहरों के नाम रखे गए।

आज कश्मीर में भी वही चल रहा है हमारे प्राचीन नाम बदले जा रहे है और हिन्दू चुप चाप बैठा है ।

पहले भी ऐसा हुआ और आज भी वही हो रहा है हिन्दू सहनशीलता के नाम से पलायनवादी हो गया है सोचता है कि बाजू  के घर में आग लगी है मुझे क्या?
अरे भाई बाजू के घर की आग नहीं बुझाएगा तो वो आग तेरे घर को भी जला सकती है।


पहले कश्मीर पंडित पलायन हुए, आज उत्तर प्रदेश के कई इलाकों से हिन्दू पलायन हो रहे है, हिन्दू संतों को जेल में भेजा जा रहा है, हिन्दुओं का ईसाई मिशनरियों द्वारा लालच देकर और मुसलमानों द्वारा दहशत फैलाकर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है।


क्या हिन्दू इसी तरह से अन्याय को चुप-चाप देखता रहेगा..???

ऐसे ही अगर देखता रहा तो फिर हिन्दू को मिटने में देर नही लगेगी और हिन्दू मिटा तो सनातन संस्कृति मिटी और सनातन संस्कृति मिटी तो फिर पृथ्वी पर हा-हा कार मच सकता है ।

क्योंकि सनातन संस्कृति ही एक ऐसी संस्कृति है जो पूरी दुनिया में सुख-शांति भाईचारा का संदेश देती ही नही है बल्कि चरितार्थ करके भी दिखा देती है । 

आज दुनिया में जो सुख शांति है वो केवल सनातन संस्कृति का कुछ अंश लेकर ही है अतः हिन्दू संस्कृति को बचाना अत्यंत जरूरी है ।

आशा है कि भारतवासी जागृत होंगे ।
इस स्थिति में समस्त हिन्दू बंधु जागृत होकर वैध मार्ग अपना मिलकर विरोध करें ।