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Thursday, December 8, 2016

कोर्ट ने रेप का 6 साल पुराना केस में किया बरी, क्या 12 साल पुराना केस बरी करेगा???

कोर्ट ने रेप का 6 साल पुराना केस में किया बरी, क्या 12 साल पुराना केस बरी करेगा???


दिल्ली की एक त्वरित अदालत ने 2010 में 30 वर्षीय एक विवाहित महिला को नशीला पेय पदार्थ पिलाकर कथित रूप से उससे बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को यह कहकर बरी कर दिया कि आरोपी व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में छह साल की देरी की कोई वैध वजह नहीं बताई गई।

कोर्ट ने रेप का 6 साल पुराना केस में किया बरी, क्या 12 साल पुराना केस बरी करेगा???
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण कुमार ने दिल्ली निवासी व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 376, 506 और 323 के तहत दर्ज मामलों को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की कि शिकायतकर्ता ने न तो शोर मचाया और न ही उसने इस कथित अपराध के लिए आरोपी के खिलाफ छह साल तक शिकायत ही दर्ज कराई।

न्यायाधीश ने कहा, 27 मई 2016 तक महिला ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई, जबकि 16 जून 2010 को उसके साथ पहली बार कथित रूप से बलात्कार हुआ था।

शिकायतकर्ता के अनुसार अंतिम बार उसके साथ 21 मई 2016 को बलात्कार किया गया। लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी को लेकर कोई वैध वजह नहीं बताई गई।

कहा गया कि प्राथमिकी दर्ज कराने में एक या दो दिन की देरी तथ्यात्मक रूप से और निर्दिष्ट मामले की परिस्थितियों में यथार्थ, उचित, तर्कसंगत हो सकती है।

बहरहाल, मौजूदा मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने में छह साल से अधिक समय की देरी हुई। शिकायतकर्ता ने ना तो कभी चीख पुकार मचाई और ना ही कथित जबरन यौन संबंध के लिए तत्काल पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज कराई।


जांच के दौरान पुलिस को ऐसे किसी भी तरह के आपत्तिजनक वीडियो नहीं मिलने का हवाला देते हुए अदालत ने व्यक्ति द्वारा इन वर्षों में महिला को इन वीडियो के जरिए उसे धमकाने और ब्लैकमेल किए जाने के महिला के दावे को भी अस्वीकार कर दिया ।


तो आपने देखा कि कुछ महिलाएं कपटपूर्ण तरीके से कैसे महिला कानून का अंधाधुन दुरूपयोग कर रही है!!


इसी प्रकार का मामला सामने आया है बापू आसारामजी और उनके बेटे नारायण साईं का उनपर अक्टूबर 2013 में प्राथमिकी दर्ज की गई की उनकेे ऊपर  आश्रम में रहने वाली सूरत गुजरात की 2 महिलायें, जो सगी बहनें हैं, उनमें से बड़ी बहन ने बापू आसारामजी के ऊपर 2001 में और छोटी बहन ने नारायण साईं जी पर 2003 में बलात्कार हुआ , ऐसा आरोप लगाया है ।

किसके दबाव में आकर 12/11 साल पुराना केस दर्ज किया गया । बड़ी बहन FIR में लिखती है कि 2001 में मेरे साथ बापू आसारामजी ने दुष्कर्म किया लेकिन जरा सोचिए कि अगर किसी लड़की के साथ दुष्कर्म होता है तो क्या वो अपनी सगी बहन को बाद में आश्रम में समर्पित कर सकती है..???

लेकिन बड़ी बहन ने छोटी बहन को 2002 में संत आसारामजी बापू आश्रम में सपर्पित करवाया था। उसके बाद छोटी बहन 2005 और बड़ी बहन 2007 तक आश्रम में रही । दोंनो बहनों की 2010 में उनकी शादी हो गई । जनवरी 2013 तक बापू आसारामजी और नारायण साईं के कार्य्रकम में आती रहती हैं, सत्संग सुनती हैं, कीर्तन करती हैं।


लेकिन अचानक क्या होता है कि अक्टूबर 2013 में बलात्कार का आरोप लगाती है ।

पुलिस ने भी दोनों लड़कियों का 5 से 6 बार बयान लिया उसमे हरबार बयान विरोधाभासी आये और हर बार बयान बदल देती थी । इससे पता चलता है कि ये केस किसी द्वारा उपजावु है ।

इससे बड़ी विडंबना देखिये कि दिसम्बर 2014 में लड़की केस वापिस लेना चाहती है लेकिन सरकार द्वारा विरोध किया जाता है और न्यायालय उसको केस वापिस लेने को मना कर देता है ।


यहाँ तक कि केस 12 साल पुराना होते हुए भी, कोई सबूत न होते हुये भी, बापू आसारामजी की वृद्धावस्था को देखते हुए भी, 80 वर्ष की उम्र में चलना-फिरना मुश्किल होते हुए भी, जमानत तक नही दी जा रही है ।


लगातार मीडिया द्वारा बापू आसारामजी की छवि को धूमिल करने का प्रयास करना, सरकार द्वारा जमानत तक का विरोध करना और न्यायालय का जमानत देने से इंकार करना...क्या एक हिन्दू संत को जबरदस्ती साजिश कर फंसाने की बू नहीं आ रही है..???

और वो भी ऐसे संत जिन्होंने हिन्दू संस्कृति का परचम विश्व में लहराया..!!!

जिन्होंने देश और संस्कृति के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया...!!!

जिन्होंने पाश्चात्य कल्चर से युवाओं को बचाकर,वेलेंटाइन डे की गन्दगी से मातृ पितृ पूजन दिवस शुरू करवा युवाओं को संयमी जीवन की ओर अग्रसर किया..!!!


जब दिल्ली में 6 साल पुराना बलात्कार का केस दर्ज करवाने पर न्यायालय ये बोलकर खारिज करता है कि केस 6 साल पुराना है और कोई सबूत नही है लेकिन वही न्यायालय सूरत की 2 लड़कियाँ 12 साल पुराना केस दर्ज करवाती है लेकिन उसको खारिज करना तो दूर की बात, जमानत तक नही देता।

 ये सब देखकर क्या आपको नहीं लगता कि सुनियोजित षड़यंत्र करके केस दर्ज हुआ है..???

आज सुप्रसिद्ध हस्तियाँ और संतों को फंसाने में महिला कानून का अंधाधुन दुरूपयोग किया जा रहा है जैसे कि गुजरात द्वारका के केशवानंदजी पर कुछ समय पूर्व एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया और कोर्ट ने सजा भी सुना दी लेकिन जब दूसरे जज की बदली हुई तब देखा कि ये मामला झूठा है तब उनको 7 साल के बाद निर्दोष बरी किया ।

ऐसे ही दक्षिण भारत के स्वामी नित्यानन्द जी के ऊपर भी सेक्स सीडी मिलने का आरोप लगाया गया और उनको जेल भेज दिया गया बाद में उनको कोर्ट ने क्लीनचिट देकर बरी कर दिया ।

ऐसे ही हाल ही में शिवमोगा और बैंगलोर मठ के शंकराचार्य राघवेश्वर भारती स्वामीजी पर एक गायिका को 3 करोड़ नही देने पर 167 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था ।
उनको भी कोर्ट ने निर्दोष बरी कर दिया ।

आपको बता दें कि दिल्ली में बीते छह महीनों में 45 फीसदी ऐसे मामले अदालत में आएं जिनमें महिलाएँ हकीकत में पीड़िता नहीं थी,बल्कि अपनी माँगें पूरी न होने पर बलात्कार का केस दर्ज करा रही थी ।

छह जिला अदालतों के रिकॉर्ड से ये बात सामने आई है कि बलात्कार के 70 फीसदी मामले अदालतों में साबित ही नहीं हो पाते हैं ।

बलात्कार कानून की आड़ में महिलाएं आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी ब्लैकमेल कर झूठे बलात्कार आरोप लगाकर जेल में डलवा रही हैं ।

बलात्कार निरोधक कानूनों की खामियों को दूर करना होगा। तभी समाज के साथ न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे ।
दिल्ली की एक त्वरित अदालत ने 2010 में 30 वर्षीय एक विवाहित महिला को नशीला पेय पदार्थ पिलाकर कथित रूप से उससे बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को यह कहकर बरी कर दिया कि आरोपी व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में छह साल की देरी की कोई वैध वजह नहीं बताई गई।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण कुमार ने दिल्ली निवासी व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 376, 506 और 323 के तहत दर्ज मामलों को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की कि शिकायतकर्ता ने न तो शोर मचाया और न ही उसने इस कथित अपराध के लिए आरोपी के खिलाफ छह साल तक शिकायत ही दर्ज कराई।

न्यायाधीश ने कहा, 27 मई 2016 तक महिला ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई, जबकि 16 जून 2010 को उसके साथ पहली बार कथित रूप से बलात्कार हुआ था।

शिकायतकर्ता के अनुसार अंतिम बार उसके साथ 21 मई 2016 को बलात्कार किया गया। लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी को लेकर कोई वैध वजह नहीं बताई गई।

कहा गया कि प्राथमिकी दर्ज कराने में एक या दो दिन की देरी तथ्यात्मक रूप से और निर्दिष्ट मामले की परिस्थितियों में यथार्थ, उचित, तर्कसंगत हो सकती है।

बहरहाल, मौजूदा मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने में छह साल से अधिक समय की देरी हुई। शिकायतकर्ता ने ना तो कभी चीख पुकार मचाई और ना ही कथित जबरन यौन संबंध के लिए तत्काल पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज कराई।


जांच के दौरान पुलिस को ऐसे किसी भी तरह के आपत्तिजनक वीडियो नहीं मिलने का हवाला देते हुए अदालत ने व्यक्ति द्वारा इन वर्षों में महिला को इन वीडियो के जरिए उसे धमकाने और ब्लैकमेल किए जाने के महिला के दावे को भी अस्वीकार कर दिया ।


तो आपने देखा कि कुछ महिलाएं कपटपूर्ण तरीके से कैसे महिला कानून का अंधाधुन दुरूपयोग कर रही है!!


इसी प्रकार का मामला सामने आया है बापू आसारामजी और उनके बेटे नारायण साईं पर अक्टूबर 2013 में प्राथमिकी दर्ज की गई की उनकेे ऊपर  आश्रम में रहने वाली सूरत गुजरात की 2 महिलायें, जो सगी बहनें हैं, उनमें से बड़ी बहन ने बापू आसारामजी के ऊपर 2001 में और छोटी बहन ने नारायण साईं जी पर 2003 में बलात्कार हुआ , ऐसा आरोप लगाया है ।

किसके दबाव में आकर 12/11 साल पुराना केस दर्ज किया गया । बड़ी बहन FIR में लिखती है कि 2001 में मेरे साथ बापू आसारामजी ने दुष्कर्म किया लेकिन जरा सोचिए कि अगर किसी लड़की के साथ दुष्कर्म होता है तो क्या वो अपनी सगी बहन को बाद में आश्रम में समर्पित कर सकती है..???

लेकिन बड़ी बहन ने छोटी बहन को 2002 में संत आसारामजी बापू आश्रम में सपर्पित करवाया था। उसके बाद छोटी बहन 2005 और बड़ी बहन 2007 तक आश्रम में रही । दोंनो बहनें 2007 में 2010 में उनकी शादी हो गई । आश्रम छोड़कर चली जाती हैं और जनवरी   2013 तक वो बापू आसारामजी और नारायण साईं के कार्य्रकम में आती रहती हैं, सत्संग सुनती हैं, कीर्तन करती हैं। 


लेकिन अचानक क्या होता है कि अक्टूबर 2013 में बलात्कार का आरोप लगाती है ।

पुलिस ने भी दोनों लड़कियों का 5 से 6 बार बयान लिया उसमे हरबार बयान विरोधाभासी आये और हर बार बयान बदल देती थी । इससे पता चलता है कि ये केस किसी द्वारा उपजावु है ।

इससे बड़ी विडंबना देखिये कि दिसम्बर 2014 में लड़की केस वापिस लेना चाहती है लेकिन सरकार द्वारा विरोध किया जाता है और न्यायालय उसको केस वापिस लेने को मना कर देता है ।

यहाँ तक कि केस 12 साल पुराना होते हुए भी, कोई सबूत न होते हुये भी, बापू आसारामजी की वृद्धावस्था को देखते हुए भी, 80 वर्ष की उम्र में चलना-फिरना मुश्किल होते हुए भी, जमानत तक नही दी जा रही है ।


लगातार मीडिया द्वारा बापू आसारामजी की छवि को धूमिल करने का प्रयास करना, सरकार द्वारा जमानत तक का विरोध करना और न्यायालय का जमानत देने से इंकार करना...क्या एक हिन्दू संत को जबरदस्ती साजिश कर फंसाने की बू नहीं आ रही है..???

और वो भी ऐसे संत जिन्होंने हिन्दू संस्कृति का परचम विश्व में लहराया..!!!

जिन्होंने देश और संस्कृति के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया...!!!

जिन्होंने पाश्चात्य कल्चर से युवाओं को बचाकर,वेलेंटाइन डे की गन्दगी से मातृ पितृ पूजन दिवस शुरू करवा युवाओं को संयमी जीवन की ओर अग्रसर किया..!!!


जब दिल्ली में 6 साल पुराना बलात्कार का केस दर्ज करवाने पर न्यायालय ये बोलकर खारिज करता है कि केस 6 साल पुराना है और कोई सबूत नही है लेकिन वही न्यायालय सूरत की 2 लड़कियाँ 12 साल पुराना केस दर्ज करवाती है लेकिन उसको खारिज करना तो दूर की बात, जमानत तक नही देता।

 ये सब देखकर क्या आपको नहीं लगता कि सुनियोजित षड़यंत्र करके केस दर्ज हुआ है..???

आज सुप्रसिद्ध हस्तियाँ और संतों को फंसाने में महिला कानून का अंधाधुन दुरूपयोग किया जा रहा है जैसे कि गुजरात द्वारका के केशवानंदजी पर कुछ समय पूर्व एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया और कोर्ट ने सजा भी सुना दी लेकिन जब दूसरे जज की बदली हुई तब देखा कि ये मामला झूठा है तब उनको 7 साल के बाद निर्दोष बरी किया ।

ऐसे ही दक्षिण भारत के स्वामी नित्यानन्द जी के ऊपर भी सेक्स सीडी मिलने का आरोप लगाया गया और उनको जेल भेज दिया गया बाद में उनको कोर्ट ने क्लीनचिट देकर बरी कर दिया ।

ऐसे ही हाल ही में शिवमोगा और बैंगलोर मठ के शंकराचार्य राघवेश्वर भारती स्वामीजी पर एक गायिका को 3 करोड़ नही देने पर 167 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था ।
उनको भी कोर्ट ने निर्दोष बरी कर दिया ।

आपको बता दें कि दिल्ली में बीते छह महीनों में 45 फीसदी ऐसे मामले अदालत में आएं जिनमें महिलाएँ हकीकत में पीड़िता नहीं थी,बल्कि अपनी माँगें पूरी न होने पर बलात्कार का केस दर्ज करा रही थी ।

छह जिला अदालतों के रिकॉर्ड से ये बात सामने आई है कि बलात्कार के 70 फीसदी मामले अदालतों में साबित ही नहीं हो पाते हैं ।

बलात्कार कानून की आड़ में महिलाएं आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी ब्लैकमेल कर झूठे बलात्कार आरोप लगाकर जेल में डलवा रही हैं ।

बलात्कार निरोधक कानूनों की खामियों को दूर करना होगा। तभी समाज के साथ न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे ।