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Sunday, September 24, 2017

अमेरिका में दुनिया की टॉप हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अब पढ़ाई जायेगी रामायण और गीता

सितम्बर, 24, 2017

🚩भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है, जब दुनिया पढ़ना-लिखना नही जानती थी तब भारत ने वेद लिख दिए थे, जब बाकी दुनिया में शिक्षा नही थी तब भारत में गुरुकुल चलते थे । लेकिन #विदेशी #आक्रमणकारियों ने सोने की चिड़िया कहलाने वाले #भारत पर #हमला किया और #भारतीय संस्कृति का एक-एक अंग मिटाने में लग गये । उसमें सबसे बड़ा #प्रहार हुआ हमारे #वैदिक गुरुकुलों पर, वैदिक शिक्षा पद्धति को बदलने के लिए गुरुकुलों को खत्म करके कॉन्वेंट स्कूल खोले गये ।
Ramayana and Geeta will be taught in the world's top Harvard University now 

🚩मैकाले की शिक्षा पद्धति के कारण भारत में हमेशा हिदू धर्म का अपमान होता रहा है जबकि भारत में सबसे ज्यादा हिन्दू आबादी है। #राजनीतिक पार्टियाँ, #मीडिया आदि हमेशा से #हिन्दू #विरोधियों को अपनी #प्राथमिकता #देती रही है। अगर भगवा, श्रीराम और गीता रामायण का नाम भी भारत में लेते हैं तो उन्हें साम्प्रदायिक बोल दिया जाता है लेकिन इन सबके बीच अमेरिका ने ऐसा ऐलान किया है कि जो दुष्ट प्रकृति के हजम नहीं कर पाएंगे ।

🚩आपको बता दें कि जल्दी ही अमेरिका की #हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ‘#रामायण और #महाभारत’ #पढ़ाई #जाएगी। इस यूनिवर्सिटी में हर किसी का पढ़ने का सपना होता है लेकिन कुछ ही होते हैं जो यहाँ पहुँच पाते हैं और सबसे बड़ी बात अब इस यूनिवर्सिटी में हिन्दू धर्म के बारे में पढ़ाया जाएगा जो कि हिन्दुओ के लिए गर्व की बात है ।

🚩हार्वर्ड यूनिवर्सिट में जिस कोर्स के तहत पढ़ाया जाएगा उसका नाम #Indian Religions Through Their Narrative Literatures है।

🚩खबर है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इन्‍हें इस सत्र से पढ़ाई में शामिल किया जाएगा और इस कोर्स को साउथ एशियन रिलीजंस की प्रोफेसर #एने ई मोनियस पढ़ाएंगी। #हिन्दू समाज के लिए ये #गर्व के पल हैं ।

🚩खबरों के मुताबिक प्रोफेसर मोनियस के अनुसार कि इस कोर्स के माध्‍यम से छात्रों को #भारतीय धर्म के बारे में विस्तार से #पढ़ाया #जाएगा। साथ ही उन्हें दिखाया जाएगा कि किस तरह रामायण और महाभारत हमारे जीवन में अहम रोल निभा सकते हैं। इसके जरिए छात्रों को हिंदू संस्‍कृति के हर पक्ष को समझाया जाएगा।

🚩भारत से #लॉर्ड मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी : “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में, संस्कृति के बारे में, परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, जब ऐसे बच्चे होंगे भारत में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।”

🚩उसने कहा था कि ‘मैं यहाँ (भारत) की शिक्षा-पद्धति में ऐसे कुछ संस्कार डाल जाता हूँ कि आनेवाले वर्षों में #भारतवासी अपनी ही #संस्कृति से #घृणा करेंगे... मंदिर में जाना पसंद नहीं करेंगे... माता-पिता को प्रणाम करने में तौहीन महसूस करेंगे, #साधु-संतों से #नफरत करेंगे... वे शरीर से तो #भारतीय #होंगे लेकिन #दिलोदिमाग से #हमारे ही #गुलाम होंगे..!'

🚩उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब
साफ-साफ दिखाई दे रही है, आज कॉन्वेंट स्कूल की शिक्षा पद्धति के कारण #JNU जैसी यूनवर्सिटी में छात्र #हिन्दू देवी-देवताओं को ही गालियां बोल रहे हैं, #दारू पी रहे हैं, #मीट खा रहे हैं, #दुष्कर्म कर रहे हैं, #बॉलीवुड, #मीडिया ,#टीवी सीरियलों में लोग हिन्दू तो दिखते हैं लेकिन दिलोदिमाग से अंग्रेज होते जा रहे हैं । इसलिए हिन्दू देवी-देवताओं, #साधु-संतों, हिन्दू त्यौहारों के #खिलाफ हो गए हैं।

🚩भारत ने वेद-पुराण, उपनिषदों से पूरे विश्व को सही जीवन जीने की ढंग सिखाया है । इससे भारतीय बच्चे ही क्यों वंचित रहे ?

🚩जब #मदरसों में #कुरान पढ़ाई जाती है, #मिशनरी के स्कूलों में #बाइबल तो हमारे स्कूल-कॉलेजों में #रामायण, #महाभारत व #गीता #क्यों नहीं #पढ़ाई जाएँ ?
जबकि मदरसों व मिशनरियों में शिक्षा के माध्यम से धार्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है और हिन्दू धर्म की शिक्षा देश, दुनिया के हित में है ।

🚩अब समय आ गया है सरकार अब #मैकोले की #शिक्षा पद्धति को #दूर करके #भारतीय #संस्कृति अनुसार ही #शिक्षा पद्धति #करें ।


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Monday, July 10, 2017

हॉलंड में 5 वी. कक्षा से श्रीमदभगवदगीता तथा उपनिषदों की सीख का अभ्यास अंतर्भूत !


जुलाई 10, 2017
#अ‍ॅम्स्टरडॅम : हॉलंड की #हिन्दू पाठशालाओं में अब #5 वी. कक्षा से ही जागतिक शिक्षण अनिवार्य करने के उद्देश्य से #श्रीमदभगवदगीता तथा उपनिषदों के समान हिन्दू #धर्मग्रंथों का अभ्यास अंतर्भूत किया गया है ।
IMPORTANCE OF GITA 

हॉलंड के हिन्दू छात्र प्रमुख रूप से #सुरिनाम से आए हैं। सुरिनाम के हिन्दू युवक साधारण रूप से अच्छी सीख प्राप्त कर रहे हैं तथा तुर्क एवं मोरोक्को के मुसलमानों की अपेक्षा अधिक अच्छे #वेतन की नौकरी कर रहे हैं ।
ऐसा नहीं दिखाई दे रहा है कि, केवल #हॉलंड के हिन्दू अन्य अल्पसंख्यंकों की अपेक्षा अधिक गति से प्रगति कर रहे हैं, किंतु वे ऐसा मानते हैं कि यदि किसी को देश के अनुसार परिस्थिति के साथ समझौता करना पड़ता है, तो जिस देश में वास्तव्य करना है, उस देश के सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में घुलमिल कर तथा देश के अधिनियमों का पालन कर रहना, उचित बात है।
भारत के अल्पसंख्यंक इस बात से कुछ सीख प्राप्त करते तो देश का #जिहादी #आतंकवाद तथा #हिंसाचार कभी का नष्ट हो जाता तथा उनका जीवनमान भी #सुधर जाता ।
क्या, भारत न्यूनतम हिन्दू एवं शासकीय पाठशालाओं में तो #धर्मशिक्षण देना आरंभ करेगा ?
वर्तमान में भी करोड़ो हिन्दू छात्र अपनी पढाई का आरंभ ‘ग’ गणपति के स्थान पर ‘ग’ गधे का’ ऐसा ही करते हैं ! स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
भारत मे भले ही विदेशी #लुटेरे मुगलों का और #अंग्रेजों की महिमा मंडन वाला इतिहास पढ़ाया जाता हो लेकिन विदेश में आज भी कई जगहों पर भगवान #श्री राम और भगवान #श्री कृष्ण की महिमा का इतिहास पढ़ाया जा रहा है और वे लोग #बौद्धिक, #आर्थिक और सभी क्षेत्रों में तेजी से #आगे बढ़ रहे हैं ।
अमेरिका के #न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन #हॉ यूनिवर्सिटी में गीता को #अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।
रोमानिया देश में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं ।
रामायण, महाभारत एवं श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही विदेश के कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रबंधन #संस्थान ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।
#प्रोफेसर अनामिका गिरधर का कहना है कि'#श्रीमदभगवद्गीता' में #चरित्र निर्माण, #आचरण,व्यवहार व विचार को सुंदर एवं अनुपम बनाने की सामग्री मिल जाती है । किसी भी सम्प्रदाय,मत या वाद की कोई भी ऐसी पुस्तक नहीं है कि जो इस #कसौटी पर खरी उतरी हो ।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि गीता में दिया गया ज्ञान आधुनिक मैनेजमेंट के लिए भी एकदम सटीक है और उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है।
भारत ने वेद-पुराण, उपनिषदों से पूरे विश्व को सही जीवन जीने की ढंग सिखाया है । इससे भारतीय बच्चे ही क्यों वंचित रहे ?
जब मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, #मिशनरी के स्कूलों में बाइबल तो हमारे #स्कूल-कॉलेजों में #रामायण, #महाभारत व #गीता क्यों नहीं पढ़ाई जाएँ ?
मदरसों व मिशनरियों में शिक्षा के माध्यम से धार्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है तो #सेक्युलरवादी उसे संविधान का मौलिक अधिकार कहते हैं और जब स्कूलों-कॉलेजों में बच्चों को जीवन जीने का सही ढंग सिखाया जाता है तो बोलते हैं कि शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है ।
अब समय आ गया है कि पश्चिमी #संस्कृति के #नकारात्मक प्रभाव को दूर किया जाए और अपनी पुरानी #संस्कृति को अपनाया जाए। #हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जाना भगवाकरण नहीं है।' अपितु उसमें मानवमात्र का कल्याण और उन्नति छुपी है ।
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Friday, December 9, 2016

श्रीमद्भगवद्गीता जयंती : 10 दिसम्बर

श्रीमद्भगवद्गीता जयंती : 10 दिसम्बर

‘यह मेरा हृदय है’- ऐसा अगर किसी ग्रंथ के लिए भगवान ने कहा है तो वह गीता जी है । गीता मे हृदयं पार्थ । ‘गीता मेरा हृदय है ।’ 

गीता ने गजब कर दिया - धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे... युद्ध के मैदान को भी धर्मक्षेत्र बना दिया । युद्ध के मैदान में गीता ने योग प्रकटाया । हाथी चिंघाड़ रहे हैं, घोड़े हिनहिना रहे हैं, दोनों सेनाओं के योद्धा प्रतिशोध की आग में तप रहे हैं । किंकर्तव्यविमूढ़ता से उदास बैठे हुए अर्जुन को भगावन श्री कृष्ण ज्ञान का उपदेश दे रहे हैं । 

‘गीता’ में 18 अध्याय हैं, 700 श्लोक हैं, 94569 शब्द हैं । विश्व की 578 से भी अधिक भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है ।

आजादी के समय स्वतंत्रता सेनानियों को जब फाँसी की सजा दी जाती थी, तब ‘गीता’ के श्लोक बोलते हुए वे हँसते-हँसते फाँसी पर लटक जाते थे। 
श्रीमद्भगवद्गीता जयंती : 10 दिसम्बर

गीता पढ़कर 1985-86 में गीताकार की भूमि को प्रणाम करने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री मि. पीअर ट्रुडो भारत आये थे ।
 जीवन की शाम हो जाय और देह को दफनाया जाय उससे पहले अज्ञानता को दफनाने के लिए उन्होंने अपने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और एकांत में चले गये । वे अपने शारीरिक पोषण के लिए एक दुधारू गाय और आध्यात्मिक पोषण के लिए उपनिषद् और गीता साथ में ले गये।


  ट्रुडो ने कहा है : ‘‘मैंने बाइबिल पढ़ी, एंजिल पढ़ी और अन्य धर्मग्रंथ पढ़े । सब ग्रंथ अपने-अपने स्थान पर ठीक हैं किंतु हिन्दुओं का यह ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ग्रंथ तो अद्भुत है । इसमें किसी मत-मजहब, पंथ या सम्प्रदाय की निंदा-स्तुति नहीं है वरन् इसमें तो मनुष्यमात्र के विकास की बातें हैं । गीता मात्र हिन्दुओं का ही धर्मग्रंथ नहीं है बल्कि मानवमात्र का धर्मग्रंथ है ।’’
गीता ने किसी मत, पंथ की सराहना या निंदा नहीं की अपितु मनुष्यमात्र की उन्नति की बात कही । 

ख्वाजा दिल मुहम्मद ने लिखा : ‘‘रूहानी गुलों से बना यह गुलदस्ता हजारों वर्ष बीत जाने पर भी दिन दूना और रात चौगुना महकता जा रहा है । यह गुलदस्ता जिसके हाथ में भी गया, उसका जीवन महक उठा । ऐसे गीतारूपी गुलदस्ते को मेरा प्रणाम है । सात सौ श्लोकरूपी फूलों से सुवासित यह गुलदस्ता करोड़ों लोगों के हाथ गया, फिर भी मुरझाया नहीं ।’’

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रुडो एवं ख्वाजा-दिल-मुहम्मद ही इसकी प्रशंसा करते हैं ऐसी बात नहीं, कट्टर मुसलमान की बच्ची और अकबर की रानी ताज भी इस गीताकार के गीत गाये बिना नहीं रहती । 

"सुनो दिलजानी मेरे दिल की कहानी तुम ।
दस्त ही बिकानी, बदनामी भी सहूँगी मैं ।।
देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूँ भुलानी ।
तजे कलमा कुरान सारे गुनन गहूँगी मैं ।।
साँवला सलोना सिरताज सिर कुल्ले दिये ।
तेरे नेह दाग में, निदाग हो रहूँगी मैं ।।
नन्द के कुमार कुरबान तेरी सूरत पै ।
हूँ तो मुगलानी, हिन्दुआनी ह्वै रहूँगी मैं ।।"

अकबर की रानी ताज अकबर को लेकर आगरा से वृंदावन आयी । कृष्ण के मंदिर में आठ दिन तक कीर्तन करते-करते जब आखिरी घड़ियाँ आयीं, तब ‘हे कृष्ण ! मैं तेरी हूँ, तू मेरा है...’ कहकर उसने सदा के लिए माथा टेका और कृष्ण के चरणों में समा गयी । अकबर बोलता है : ‘‘जो चीज जिसकी थी, उसने उसको पा लिया । हम रह गये...’’ 

इतना ही नहीं महात्मा थोरो भी गीता के ज्ञान से प्रभावित हो के अपना सब कुछ छोड़कर अरण्यवास करते हुए एकांत में कुटिया बनाकर जीवन्मुक्ति का आनंद लेते थे । 


             

श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में संतों एवं विद्वानों के विचार!!

जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए गीताग्रंथ अद्भुत है । विश्व की 578 भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है । हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों एवं भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, होती रहेंगी क्योंकि  इस  ग्रंथ  में सभी देश,  जाति, पंथ  के  सभी  मनुष्यों  के  कल्याण  की अलौकिक सामग्री भरी हुई है । 

अतः हम सबको गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए। भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करानेवाला यह गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है ।
                                                                           - ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज 


विरागी जिसकी इच्छा करते हैं, संत जिसका प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और पूर्ण ब्रह्मज्ञानी जिसमें ‘अहमेव ब्रह्मास्मि’ की भावना रखकर रमण करते हैं, भक्त जिसका श्रवण करते हैं, जिसकी त्रिभुवन में सबसे पहले वन्दना होती है, उसे लोग ‘भगवद्गीता’ कहते हैं ।                                                                             - संत ज्ञानेश्वरजी

भगवद्गीता कचिदधीता गंगाजललवकणिका पीता। येनाकारिमुरारेरर्र्चा तस्य यमै क्रियते चर्चा ।।
जिस मनुष्य ने श्रीमद्भगवद्गीता का थोड़ा भी अध्ययन किया हो, श्रीगंगाजल का एक बिन्दु भी पान किया हो अथवा भगवान श्रीविष्णु का सप्रेम पूजन किया हो, उसे यमराज नजर उठाकर देख भी नहीं सकते । अर्थात् वह संसार-बंधन से मुक्त होकर आत्यन्तिक आनन्द का अधिकारी हो जाता है ।
                                                                                            - जगद्गुरु श्री शंकराचार्यजी

गीता के ज्ञानामृत के पान से मनुष्य के जीवन में साहस, समता, सरलता, स्नेह, शांति, धर्म आदि दैवी गुण सहज ही विकसित हो उठते हैं । अधर्म, अन्याय एवं शोषकों का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है । निर्भयता आदि दैवी गुणों को विकसित करनेवाला, भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करनेवाला यह ग्रंथ पूरे विश्व में अद्वितीय है ।

 - संत आसारामजी बापू


‘गीता’ शास्त्र एक परम रहस्यमय ग्रंथ है । इसका प्रचारक भगवान को अत्यंत प्रिय है । भगवान ने स्वयं कहा है :
‘मनुष्यों में उससे बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करनेवाला कोई भी नहीं है तथा पृथ्वी भर में उससे बढ़कर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं जो गीता-ज्ञान का प्रचार करता है ।’
                                                                                             - स्वामी रामसुखदासजी


‘भगवद्गीता’ के उपदेश पर कोई शंका नहीं कर सकता क्योंकि वह मानों ठीक मर्मस्थल को स्पर्श करता है । वह सब आवश्यकताओं की समान रूप से पूर्ति करता है, उसमें विकास की प्रत्येक श्रेणी पर विचार किया गया है । यह एक ही ग्रंथ है, जिसमें छोटे-से-छोटा और बड़े-से-बड़ा मनुष्य, अतिशय प्रखर बुद्धि का विचारक, सभीको कुछ-न-कुछ जानने तथा सीखने की सामग्री मिल जाती है, मार्ग सीखने के लिए कोई-न-कोई ध्रुव तारा मिल जाता है । वे धन्य हैं जो गीता को पढ़ते हैं, सुनते हैं, सुनाते हैं ।                   
                                                                                                        - रेवरेंड आर्थर

‘गीता’ के संदेश का प्रभाव आचार-विचारों के क्षेत्र में भी सदैव जीता-जागता प्रतीत होता है। 
- श्री अरविन्द घोष

जीवन का दृष्टिकोण उन्नत बनाने की कला सिखाती है गीता ! 

युद्ध जैसे घोर कर्मों में भी निर्लेप रहने की कला सिखाती है गीता ! 

कर्तव्यबुद्धि से ईश्वर की पूजारूप कर्म करना सिखाती है गीता ! 

मरने के बाद नहीं, जीते-जी मुक्ति का स्वाद दिलाती है गीता !           

स्त्रोत्र : ऋषि प्रसाद (संत श्री आसारामजी आश्रम)