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Tuesday, November 29, 2016

आम आदमी का सवाल :150 वर्षों की न्याय यात्रा में हमें क्या मिला...???

आम आदमी का सवाल :
150 वर्षों की न्याय यात्रा में हमें क्या मिला...???
इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थापना के 150 गौरवशाली वर्षों और इसके भवन के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हाईकोर्ट जश्न मना रहा है।
तमाम समारोहों और कार्यक्रम के जरिए इन गौरवशाली वर्षों और उपलब्धियों को याद किया जा रहा है ।
मगर इन सबके बीच आम आदमी यह भी पूछा रहा है कि इन डेढ़ सौ वर्षों की यात्रा में उसे क्या हासिल हुआ...???
आम जनता की ओर से यह सवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने उठाया है।
मुख्य न्यायाधीश और बार एसोसिएशन को लिखे पत्र में जस्टिस अग्रवाल ने आम वादकारी (फरियादकर्ता) के हित में कदम उठाने की अपील भी की है।
शनिवार को आयोजित शताब्दी समारोह के मौके पर आम वादकारी (फरियादकर्ता) को भूलने पर चिंता जाहिर करते हुए जस्टिस अग्रवाल ने कहा है कि आम आदमी यह पूछ रहा है कि इन 150 वर्षों की न्याय यात्रा में उसे क्या हासिल हुआ ? सिवाए मुकदमों के फैसलों का वर्षों इंतजार करने और तारीखें गिनने के। 
हाईकोर्ट में लाखों मुकदमेँ विचाराधीन हैं और वादकारी (फरियादकर्ता) दशकों से न्याय की आस लगाए हैं। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे जनता को एहसास हो कि न्यायपालिका अविलंब न्याय देने को लेकर गंभीर है।
Azaad Bharat - आम आदमी का सवाल :150 वर्षों की न्याय यात्रा में हमें क्या मिला...???

जस्टिस अग्रवाल ने सुझाव दिया है कि क्यों न डेढ़ सौ स्थापना वर्ष पूरे होने से पूर्व हम अगले वर्ष 17 जनवरी से 17 मार्च के बीच पड़ने वाले हर शनिवार को अदालत खुली रखें और इस दौरान 2010 से पहले के मुकदमों को निपटाया जाए। इन दिनों में नए मुकदमों की सुनवाई न की जाए। ऐसा करके हम हजारों पुराने मुकदमों को निपटा सकते हैं।
पत्र में उन्होंने कहा है कि समारोह में अपनी उपलब्धियां याद करते समय हम वादकारियों (फरियादकर्ताओं) को भी उसमें शामिल करें। उन्हें पता चलना चाहिए कि जिनके लिए इस न्यायपालिका का गठन हुआ उनके लिए भी हम कुछ करना चाहते हैं। 
उन्होंने शनिवार को काम करने का प्रस्ताव पारित करने का सुझाव देते हुए कहा है कि यदि हम न्याय देने में गति ला सकें तो वह इस समारोह वर्ष की उपलब्धि होगी। 
जस्टिस अग्रवाल ने पत्र की प्रतियां मुख्य न्यायधीश दिलीप बी भोसले के अलावा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्षों को भी भेजी हैं।
जस्टिस अग्रवाल ने जो प्रश्न उठायें वो सही में सरहानीय कदम है जस्टिस अग्रवाल की तरह आज सभी न्यायधीश हो जायें तो एक भी मुकदमा बाकि नही रहेगा और सभी को शीघ्र न्याय मिलेगा ।
आज आम आदमी कोर्ट जाने से डरता है क्योंकि उसे पता है केस करूँगा तो फैसला जल्दी आने वाला नही है , सालों तक चक्कर काटते रहो फिर भी मिलती है तो बस अगली तारीख, न्याय नही मिलता । 
न्याय मिलने में महीने नही सालों लग जाते हैं । न्याय पाने के लिए व्यक्ति अपना घर, जमीन, गहने तक बेच देता है लेकिन फिर भी उसको मिलती है तो सिर्फ अगली तारीख.....
कई बार तो न्याय की आस में कोर्ट के चक्कर काटते काटते जिंदगी पूरी हो जाती है लेकिन न्याय नही मिल पाता है ।
और कहावत है कि "लंबे समय तक न मिलने वाला न्याय अन्याय ही है" ये बात 100% सही भी है ।
कोई किसी पर झूठा आरोप लगा दे और उसे जेल में धकेल दिया जाये फिर उसको जमानत तक नही मिल पाये और वर्षों तक बिना अपराध सिद्ध जेल में रहने के बाद उसको निर्दोष बरी किया जाये तो कैसा लगेगा...???
उसका समय, इज्जत व पैसा वापिस कौन लौटा पायेगा...???
कई बार तो पैसा नही होने की वजह से वकील की फीस तक नही दे पाते हैं इसलिए भी जमानत नही हो पाती है और वर्षो तक जेल में रहना पड़ता है ।
दूसरी और षड़यंत्र के तहत निर्दोष हिन्दू साधु-संतों और हिंदुत्वनिष्ठों के साथ भी ऐसा ही किया जा रहा है ।
जैसे 9 साल से साध्वी प्रज्ञा, 7 साल से स्वामी असीमानन्द, 7 साल से स्वामी अमृतानन्द, 7 साल से कर्नल पुरोहित, 3 साल से संत आसारामजी बापू, 3 साल से नारायण साईं, 2 साल से धनंजय देसाई आदि जेल में हैं ।
जिन पर आज तक एक भी अपराध सिद्ध नही हुआ है लेकिन उनको जमानत तक नही मिल पा रही है ।
इसमें से साध्वी प्रज्ञा और संत आसारामजी बापू को तो क्लीन चिट भी मिल गई है फिर भी जमानत नही मिल पा रही है ।
क्या इनका यही कसूर था कि हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए ये तन-मन-धन से लगे थे इसलिए उनको जमानत नही दी जा रही है???
जब इन सुप्रसिद्ध संतों को जमानत नही मिल रही है तो आम जनता कैसे विश्वास करें न्यायालय पर ?
जल्दी न्याय नही मिलने पर आम जनता का न्याय प्रणाली पर से भरोसा उठ रहा है। सरकार और न्यायप्रणाली को इस ओर ध्यान देना चाहिए ।