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Friday, September 29, 2017

जानिए दशहरे का इतिहास,इस दिन ऐसा क्या करने से सालभर गृहस्थ में विघ्न नहीं आएंगे?

सितम्बर 29, 2017

🚩 सभी पर्वों की अपनी-अपनी महिमा है किंतु दशहरा पर्व की महिमा जीवन के सभी पहलुओं के विकास, सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करती है । दशहरे के बाद पर्वों का झुंड आयेगा लेकिन सर्वांगीण विकास का #श्रीगणेश कराता है दशहरा ।
इस साल दशहरा 30 सितम्बर को है।
Know the history of Dussehra 

🚩दशहरा दश पापों को हरनेवाला, दश शक्तियों को विकसित करनेवाला, दशों दिशाओं में #मंगल करनेवाला और दश प्रकार की विजय देनेवाला पर्व है, इसलिए इसे ‘#विजयादशमी’ भी कहते हैं ।

🚩यह #अधर्म पर #धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर #अंतर्मुखता की विजय, #अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर संयम की विजय, #आसुरी तत्त्वों पर दैवी तत्त्वों की #विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है । 

🚩दशहरे का इतिहास !!

🚩1. भगवान #श्री_राम के पूर्वज अयोध्या के राजा रघु ने विश्वजीत यज्ञ किया । सर्व संपत्ति दान कर वे एक पर्णकुटी में रहने लगे । वहां #कौत्स नामक एक #ब्राह्मण पुत्र आया । उसने राजा रघु को बताया कि उसे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की आवश्यकता है । तब राजा रघु कुबेर पर #आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए । डरकर कुबेर राजा रघु की शरण में आए तथा उन्होंने अश्मंतक एवं शमी के वृक्षों पर #स्वर्णमुद्राओं की वर्षा की । उनमें से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्णमुद्राएं ली । जो #स्वर्णमुद्राएं #कौत्स ने नहीं ली, वह सब राजा रघु ने बांट दी । तभी से दशहरे के दिन एक दूसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक के पत्ते देते हैं ।


🚩2. #त्रेतायुग में प्रभु श्री राम ने इस दिन रावण वध के लिए प्रस्थान किया था । रामचंद्र ने रावण पर #विजयप्राप्ति के पश्चात इसी दिन उनका वध किया । इसलिये इस दिन को ‘विजयादशमी’ का नाम प्राप्त हुआ ।

🚩3. द्वापरयुग में अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने #शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गायें #चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की, वो भी इसी दिन था ।

🚩4. दशहरे के दिन #इष्टमित्रों को सोना (अश्मंतक के पत्ते के रूप में) देने की प्रथा महाराष्ट्र में है ।

🚩इस प्रथा का भी #ऐतिहासिक महत्त्व है । मराठा वीर शत्रु के देश पर मुहिम चलाकर उनका प्रदेश लूटकर #सोने-चांदी की संपत्ति घर लाते थे । जब ये विजयी वीर अथवा सिपाही #मुहिम से लौटते, तब उनकी पत्नी अथवा बहन द्वार पर उनकी आरती उतारती । फिर परदेस से लूटकर लाई संपत्ति की एक-दो मुद्रा वे आरती की थाली में डालते थे । घर लौटने पर लाई हुई संपत्ति को वे भगवान के समक्ष रखते थे । तदुपरांत देवता तथा अपने बुजुर्गों को नमस्कार कर, उनका आशीर्वाद लेते थे । वर्तमान काल में इस घटना की स्मृति अश्मंतक के पत्तों को सोने के रूप में बांटने के रूप में शेष रह गई है ।

🚩5. वैसे देखा जाए, तो यह त्यौहार प्राचीन काल से चला आ रहा है । आरंभ में यह एक कृषि  संबंधी #लोकोत्सव था । वर्षा ऋतु में बोई गई धान की पहली फसल जब किसान घर में लाते, तब यह उत्सव मनाते थे । 

🚩नवरात्रि में घटस्थापना के दिन #कलश के स्थंडिल (वेदी)पर नौ प्रकार के अनाज बोते हैं एवं दशहरे के दिन उनके अंकुरों को निकालकर देवता को चढाते हैं । अनेक स्थानों पर अनाज की बालियां तोड़कर प्रवेशद्वार पर उसे #बंदनवार के समान बांधते हैं । यह प्रथा भी इस त्यौहार का कृषि संबंधी स्वरूप ही व्यक्त करती है । आगे इसी त्यौहार को #धार्मिक स्वरूप दिया गया और यह एक राजकीय स्वरूप का त्यौहार भी सिद्ध हुआ ।

🚩इसी दिन लोग नया कार्य #प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। 

🚩दशहरा अर्थात विजयदशमी भगवान राम की #विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह #शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। #हर्ष और #उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के #रक्त में #वीरता प्रकट हो इसलिए #दशहरे का उत्सव रखा गया है।

🚩दशहरें का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, #लोभ, मोह,मद, मत्सर, #अहंकार, #आलस्य, #हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। 

🚩देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाने के #साथ-साथ यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे #देशों में भी मनाया जाता हैं।

🚩दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व #सिद्धिदायी #विजयकाल कहलाता है ।
  
🚩उस समय शाम को घर पर ही स्नान आदि करके, दिन के कपड़े #बदल कर धुले हुए कपड़े पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाएँ ।

🚩विजयादशमी के इस विजयकाल में थोड़ी देर 
"राम रामाय नम:" मंत्र के नाम का जप करें ।

🚩फिर मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान सर्व #सिद्धिदायी #विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए "ॐ अपराजितायै नमः "मंत्र का जप कर रहे हैं ।

🚩इस #मंत्र की एक- दो माला जप करके श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें...

🚩"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।"

🚩दशहरे के दिन #विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के #दशहरे तक गृहस्थ में #जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं ।

🚩दशहरा व्यक्ति में #क्षात्रभाव का संवर्धन करता है । शस्त्रों का पूजन #क्षात्रतेज कार्यशील करने के प्रतीकस्वरूप किया जाता है । इस दिन #शस्त्रपूजन कर देवताओं की मारक शक्ति का आवाहन किया जाता है । 

🚩इस दिन प्रत्येक #व्यक्ति अपने जीवन में नित्य उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का शस्त्र के रूप में पूजन करता है । किसान एवं #कारीगर अपने उपकरणोें एवं #शस्त्रों की पूजा करते हैं । लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं, इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं । इस पूजन का उद्देश्य यही है कि उन विषय- वस्तुओं में ईश्वर का रूप देख पाना; अर्थात #ईश्वर से एकरूप होने का प्रयत्न करना ।

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