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Saturday, January 21, 2017

नोटबन्दी की घोषणा के जैसे ही कत्लखाने बंद करने की घोषणा करने की सिफारिश की - संत रामविचारजी महाराज ने !!



मोदीजी कत्लखाने बन्द करने की तारीख की भी घोषणा कर दीजिये - संत रामविचारजी !!

जोधपुर शहर में हुए एक समारोह को संबोधित करते हुए संत रामविचारजी महाराज ने प्रधानमंत्री मोदी को नोटबन्दी की घोषणा की तारीख के जैसे ही कत्लखाने बंद करने की तारीख घोषणा करने की सिफारिश की ।


महाराज श्री ने बताया कि 8 नवम्बर की रात्रि को जो घोषणा हुई उसे पूरा भारत देश हिल गया और घोषणा भी बड़ी क्रान्तिकारी हुई । ये सभी लोगो को मानना पड़ा मैं जानता हूँ ।

 उस समय मोदीजी ने कहा था कि मैं आपसे 50 दिन मांगता हूं । आप मुझे 50 दिन दे दे उसके बाद मैं भारत का नक्शा बदल दूंगा । भारत की जनता ने इसे स्वीकार किया और 50 दिन दिए अब मैं भी निवेदन करता हूँ मोदीजी से कि..

मोदीजी,आपने 50 दिन मांगे भारत की जनता ने 50 दिन दिए भी और आपकी बात भारत की जनता ने मानी है तो एक बार आप भी हमारी माने !! 

आपने एक तारीख निकाली 8 नवम्बर जिसे पूरे भारत को मानना पड़ा । मैं चाहता हूँ कि मोदीजी एक ऐसी तारीख भी निकाले जिसमें रात को घोषणा हो कि भारत में सारे कत्लखाने बंद हो जाए । 

https://youtu.be/14jOUQsyVfA

एक भी गाय भारत में न कटे ऐसी बात भी भारत के प्रधानमंत्री के मुँह से निकालनी चाहिए ।

 ऐसी हम आशा करते हैं क्योंकि तारीखें आ रही हैं एक से एक ! एक तारीख ऐसी भी आनी चाहिए । 

हम चाहते हैं कि आप ऐसे काम करें जिससे हमारा भारत एक नंबर पर रहे लेकिन इसके साथ दुर्भाग्य से ये भी कहना पड़ रहा है । गौहत्या के लिए भी भारत उतना ही जिम्मेदार है जितना हम सब बाकि सब चर्चाओं में हैं । जितने कत्लखाने भारत देश में हैं अन्य देशों में नही है । ये कलंक भी भारत को झेलना पड़ता है ।

महाराज जी ने आगे बताया कि एक बात मेरे भी समझ में नहीं आई..!! 
मोदीजी हमेशा रेडियो में कहते आये हैं मन की बात..!!
मन की बात बताने की नही करने की होती है । इसलिए ऐलान हो गया 
अब मैं चाहता हूँ कि भारत देश भी ऐसा हो एक बार एक तारीख ऐसी भी आये कि जिससे गाये बच जाए, गौ कत्लखाने बंद हो, गौ माता की सेवा हो ।

प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए उन्होंने आगे कहा कि मैं निवेदन करता हूँ कि मोदीजी आप कर सकते हैं और जरूर करें कत्लखाने बंद होंगे, जनता को बहुत खुशी होगी ।

दो रुपये चवन्नी गंगा जी को चढ़ाते थे, हजार हजार लीटर घी चढ़ाये, पैक भर-भर कर बाहर फैंक रहे हैं और इतना डरा दिया कि 2,50,000 से ज्यादा लिया तो खैर नही !! अब आदमी डर-डर के करे तो क्या करे..??

 2,50,000 तो होते ही हैं सबके पास !! अब 2,50,000 से ज्यादा वहां तो मन की बात है क्या करें क्या ना करे..??

तो लोग व्यर्थ में जला रहे हैं ।  कोई फेंक रहा है, कोई क्या कर रहा है, 

मोदीजी को एक काम करना चाहिए। एक शाखा खोले तुम्हारा कोई ब्योरा नही लिया जायेगा सारे पैसे यहाँ जमा कर जाये । जितने भी भारत की गौशालाएं हैं। सब में दे दिया जाय न गंगा में बहाने की जरुरत है, न जलाने की जरुरत है, न डरने की जरुरत है । जो हुआ जैसे हुआ होने दो लेकिन कम से कम वो कागज के टुकड़े बने व्यर्थ जाये इससे अच्छा गौमाता तक पहुँच जाये चारे के रूप में ।

भारतमाता की गायों को चारा मिलेगा तो आशीष मिलेगी और सभी का धन सार्थक बनेगा । भारत की गाय बचे ये हमारी इच्छा रहती है ।

गौरतलब है कि मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले गुलाब क्रांति (पशुहत्या) के खिलाफ खूब आवाज उठाई थी लेकिन अभीतक एक भी कत्लखाना बन्द नही हुआ बल्कि प्रधानमंत्री बनने के बाद कत्लखानों के लिए 15 करोड़ सब्सडी कर दी थी । जिससे कई गौ रक्षक नाराज होकर उनके खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं।


आपको बता दें कि पशु कल्याण के लिए सरकार ने 1962 में 28 सदस्यीय एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (एडब्ल्यूबीआई) का गठन किया था जिसके लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के जरिये फंड भेजा जाता है। 2011-12 में एडब्ल्यूबीआई के लिए 21.7  करोड़ रुपये का आबंटन हुआ था, 2015-16 में यह राशि घटकर 7.8 करोड़ हो गई है। देश भर में चार हजार से अधिक गौशालाओं में साढ़े तीन करोड़ गौवंश हैं। एडब्ल्यूबीआई के चेयरमैन डॉ. आर.एम. खर्ब के मुताबिक, 'एक गाय पर रोज का खर्चा कम से कम सौ रुपये है, मगर केंद्र सरकार से जो अनुदान राशि मिल रही है, उससे गौशालाओं में संरक्षित एक गाय के हिस्से साल में सिर्फ दो रुपये आते हैं।' यह है गाय पर राजनीति करने वाली सरकार का असली चेहरा!

इसके ठीक उलट सरकार ने देश भर के कसाईघरों को आधुनिक बनाने के वास्ते 2002 में दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत 5 हजार 137 करोड़ की राशि का आबंटन किया था, ताकि बीफ  एक्सपोर्ट में हम पीछे न रह जाएं। देश का दुर्भाग्य है कि कसाईघरों के आधुनिकीकरण पर हम हजारों करोड़ खा रहे हैं, मगर पशुओं के संरक्षण के वास्ते सरकार के खजाने में पैसे नहीं हैं।


मोदी सरकार आने के बाद पहला बजट जो पास किया गया जिसमें कत्लखाने खोलने के लिए 15 करोड़ सब्सिडी प्रदान की जाती है ।
2014 में  4.8 अरब डॉलर का बीफ एक्सपोर्ट हुआ था । 2015 में भी भारत, 2.4 मिलियन टन बीफ एक्सपोर्ट कर दुनिया में नंबर वन बन गया। 

आपको बता दें कि भारत में प्रतिदिन लगभग 50 हजार गायें बड़ी बेरहमी से काटी जा रही हैं । 1947 में गोवंश की जहाँ 60 नस्लें थी। वहीं आज उनकी संख्या घटकर 33 ही रह गयी है । हमारी अर्थव्यवस्था का आधार गाय है और जब तक यह बात हमारी समझ में नहीं आयेगी तबतक भारत की गरीबी मिटनेवाली नहीं है । गोमांस विक्रय जैसे जघन्य पाप के द्वारा दरिद्रता हटेगी नहीं बल्कि बढ़ती चली जायेगी । गौवध को रोकें और गोपालन कर गोमूत्ररूपी विषरहित कीटनाशक तथा दुग्ध का प्रयोग करें । गोवंश का संवर्धन कर देश को मजबूत करें ।