Thursday, August 17, 2017

विदेशियों की विवशता और भारतवासियों की महामूर्खता...



🚩विश्व की महान भारतीय संस्कृति के सपूतों की मूर्खता की कुछ बातें अवगत कराते हैं ।

🚩भारतीय अपनी मूर्खता छोड़ें और अपनी दिव्य , महान संस्कृति पर ध्यान देे...
विदेशियों की विवशता और भारतवासियों की महामूर्खता


🚩1. आठ महीने ठण्ड पड़ने के कारण कोट पेंट पहनना विदेशियों की विवशता और शादी वाले दिन भरी गर्मी में कोट - पेंट डालकर बारात लेकर जाना हमारी मूर्खता ।

🚩2. ठण्ड में नाक बहते रहने के कारण टाई लगाना विदेशियों की विवशता और दूसरों को प्रभावित करने के लिऐ जून महीने में टाई कसकर घर से निकलना हमारी मूर्खता ।

🚩3. ताजा भोजन उपलब्ध ना होने के कारण सड़े आटे से पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि खाना यूरोप की विवशता और 56 भोग छोड 400/- की सड़ी रोटी (पिज्जा ) खाना हमारी मूर्खता ।

🚩4. ताजे भोजन की कमी के कारण फ्रीज का इस्तेमाल करना यूरोप की विवशता और रोज दो समय ताजी सब्जी बाजार में मिलनें पर भी हफ्ते भर की सब्जी मंडी से लेकर फ्रीज में ठूसकर सड़ा-सड़ा कर खाना हमारी मूर्खता ।

🚩5. जड़ी बूटियों का ज्ञान ना होने के कारण... जीव जंतुओं के हाड़मांस से दवाएं बनाना उनकी विवशता और आयुर्वेद जैसा महान चिकित्सा ग्रंथ होेने के बावजूद हाड़मांस की दवाईयां उपयोग करना हमारी महामूर्खता ।

🚩6. पर्याप्त अनाज ना होने के कारण जानवरों को खाना उनकी विवशता और 1600 किस्मों की फसलें होनें के बाबजूद जीभ के स्वाद के लिए किसी निर्दोष प्राणी को मारकर उसे खाना हमारी मूर्खता ।

🚩7. लस्सी, दूध, जूस आदि ना होने के कारण कोल्ड ड्रिंक को पीना उनकी विवशता और 36 तरह के पेय पदार्थ होते हुए भी कोल्ड ड्रिंक नामक जहर को पीकर खुद को आधुनिक समझ कर इतराना हमारी महा मूर्खता ।

🚩8. टाइट कपड़े पहनने के कारण जमीन की जगह कुर्सी पर बैठ कर भोजन करना उनकी विवशता और हमारी मूर्खता ।

🚩9. न बोल पाने की असमर्थता के कारण उनका संस्कृत ना बोलना और जोड़-तोड़ वाली अंग्रेजी से काम चलाना और दूसरी ओर अपनी महान संस्कृत से विमुख होकर अंग्रेजी बोलने का प्रयास करना हमारी मूर्खता ।

🚩10. असभ्य, लालची और स्वार्थी स्वभाव के कारण अपने माँ बाप से अलग रहना । ये उनका दुर्व्यवहार अपने में लाना हमारी मूर्खता ।

🚩क्या ये भारतीयों को शोभा देता है..???

🚩भारत महान था , महान है ,
किंतु महान तब रहेगा जब देशवासी ऐसी महामूर्खताओं को त्याग कर अपने देश की महानता को समझेंगे ।

🚩15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की बाह्य गुलामी तो दूर हुई लेकिन अंग्रेजी भाषा की, उनके विचारों की गुलामी तो हमारे दिल-दिमाग में घुसी हुई है । अतः अपनी वैदिक संस्कृति, अपने देश की जलवायु और रीति-रिवाजों के अनुसार स्वास्थ्य लाभ, सामाजिक जीवन और आत्मिक उन्नति करानेवाली भारत की महान संस्कृति का आदर करना चाहिये, लाभ लेना चाहिए । अंग्रेजी कल्चर का दिखावटी जीवन भीतर से खोखला कर देता है । संयमी, सदाचारी और साहसी भारतीय संस्कृति के सपूतों को अपनी मिली हुई आजादी को सावधानी से सँभाले रखना चाहिये ।

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Monday, August 14, 2017

क्या स्वतंत्रता सेनानियों ने इसी आजाद भारत का सपना देखा था


🚩 15 अगस्त 1947 को भारत गुलामी की बेडि़यों से आजाद हो गया । सबका त्याग, तपस्या, लगन और आजादी से साँस लेने की ललक ने, वह तूफान खड़ा किया, जिनके समक्ष #अंग्रेजी_शासन का #झंडा हिल गया और #देश आजाद हो गया ।
🚩लोगों ने सोचा अब शोषक #सरकार (#विदेशी_सरकार) चली गयी तो अब हमलोग सुखी होंगे, बेकारी मिटेगी, गरीबी हटेगी, भेदभाव की खाईं पटेगी, समानता आयेगी, सामाजिक समानता मिलेगी । लेकिन70 साल बाद भी जो सपने आजादीके दिवानों ने देखे थे वह साकार हुए क्या ?

INDEPENDENCE DAY

🚩#आजादी के समय जहाँ एक
रुपए के बराबएक #डॉलर होता था, आज एक डॉलर कीकीमत लगभग 67 रुपए है।
🚩15 अगस्त 1947 को भारत न सिर्फ #विदेशी कर्जों से मुक्त था,बल्कि उल्टे #ब्रिटेन पर भारत का 16.62 करोड़रुपए का कर्ज था। आज देश पर 480.2 अरब डॉलर (करीब 317 खरब रुपये)  से भी ज्यादा  विदेशी कर्ज है। भारत में किसी नवजात के पैदा होते ही उस पर अप्रत्यक्ष रूप से करीब तीन हजार रुपये का विदेशी कर्ज चढ़ जाता है। भारत का #स्विस_बैंकों में जमा विदेशी धन करीब 8,392 करोड़ रुपये है ।
🚩1947 से 2016 तक कई #घोटाले हो चुके हैं जिससे देश को लगभग 91,06,03,23,43,00,000 यानि इक्यानबे सौ #खरब का नुकसान हुआ है । देश में घोटाले की बीज आजादी के बाद ही बो दी गई थी । इसकी शुरुआत जीप घोटाले से हुई थी । 1947 से अबतक हुए घोटाले की एक लंम्बी सूची है - जीप खरीद घोटाला (1948), साइकिल आयात घोटाला (1951), बीएचयू फंड घोटाला (1956), हरिदास मुंध्रा स्कैंडल (1958), तेजा लोन स्कैम (1960), प्रताप सिंह कैरों स्कैम (1963), पटनायक 'कलिंग ट्यूब्स' मामला (1965), मारुति घोटाला (1974), कुआँ ऑयल डील (1976), अंतुले ट्रस्ट प्रकरण (1981), एचडीडब्ल्यू दलाली मामला (1987), बोफोर्स घोटाला (1987),सेंट किट्स मामला (1989), हर्षद मेहता स्कैम (1992), इंडियन बैंक (1992), चारा घोटाला (1996), लक्खू भाई पाठक स्कैल, टेलीकॉम स्कैम, यूरिया घोटाला, हवाला #घोटाला,झारखंड मुक्ति मोर्चा मामला (1993), चीनी घोटाला (1994), जूता घोटाला (1995),तहलका कांड, मैच फिक्सिंग (2000), बराक मिसाइल रक्षा सौदे, यूटीआई घोटाला, तेल के बदले अनाज, ताज कॉरिडोर, मनी लांडरिंग,आदर्श घोटाला, ताबूत घोटाला (1999), केतन पारेख स्टॉक मार्केट घोटाला, आईपीएल घोटाला, सत्यम घोटाला, स्टांप घोटाले, हसन अली टैस्क चोरी मामला, कोयला घोटाला, स्पेक्ट्रम घोटाला, नेशनल हैराल्ड, अगस्ता आदि कितने घोटाले हुए है। यदि जनता नहीं जागी तो और पता नहीं कितने होंगे । प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान खुद इस बात को स्वीकार किया था कि केन्द्र से भेजे गए एक रुपये में से 15 पैसा ही अंतिम व्यक्ति यानि भारत तक पहुंचता है। स्पष्ट है कि सारा धन भ्रष्टाचार के नाले में जाता हैं।
🚩 यह है #स्वतंत्र_भारत की आर्थिक स्थिति । #अरबों-खरबों के घोटाले के अलावा देश क्षेत्रीयता, जातिवाद और कट्टरपंथी धार्मिक #राजनीतिक के हथकंडे, सांप्रदायिक दंगे, दलित उत्पीड़न, #आतंकवाद के हिंसा से जूझ रहा है । गरीब और गरीब हो रहा है और अमीर और भी अमीर।
आज 99 प्रतिशत के पास मात्र 30 प्रतिशत संपत्ति है और यह संपत्ति भी साल-दर-साल अमीरों के पास एकत्रित होती जा रही है ।
🚩श्रम और #रोजगार #मंत्रालय की रिपोर्ट (2011) उठाकर देखें तो लगभग 12 करोड़ बच्चों का बचपन होटलों, उद्योगों और सड़कों पर बीत रहा  है । 33 फीसदी वयस्क और तीन वर्ष से कम उम्र के 46 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं ।
🚩देश में हर 35 मिनट पर एक #किसान #खुदकुशी कर रहा है । एक रिपोर्ट के अनुसार 10.8 करोड़ नवयुवक आज भी बेरोजगार है । विदेशी #कम्पनियाँ #व्यापार के नाम पर 20 लाख करोड़ रुपये प्रतिवर्ष विदेश धन ले जा रहा है । आजादी का झंडा बुलंद करनेवाले #राजनेताओं की बातों पर भरोसा करें तो विदेशी पूँजी निवेश के बिना न तो देश का विकास संभव है और न ही देश में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। सच्चाई यह है कि यह एक प्रायोजित झूठ है। हकीकत यह है कि देश की पूँजी, अगर #भ्रष्टाचार में बर्बाद नहीं हो तो देश का एक भी व्यक्ति बेरोजगार नहीं रहेगा और यदि बेईमान लोगों के पास पूँजी जमा न होकर जब देश के ढाँचागत विकास एवं व्यवसाय में लगे तो देश में इतनी समृद्धि आ जाएगी कि हम दूसरे देशों को पैसा ब्याज पर देने की स्थिति में होंगे। लेकिन हम सुधरना नहीं चाहते है ।
🚩लगता है हमें गुलामी ही भा रहा है । क्याआजाद भारत वास्तव में आजाद हो गया है ? अंग्रेजों के चले जाने से हमें सिर्फ #संवैधानिक आजादी मिली है । लेकिन क्या हम #सांस्कृतिक, #सामाजिक और #राजनीतिक दृष्टि से आजाद हुए हैं? संविधान कहता है कि ‘हां’ आजाद हैं, लेकिन वास्तविकता क्या कहती है?वास्तविकता यह है कि हम गुलाम हैं। आज भी संसद में काम ब्रिटेन की भाषा में होता है । संसद के कई महत्वपूर्ण भाषण और कानून ऐसी भाषा में होते हैं, जिसे आम जनता द्वारा नहीं समझा जा सकता।
🚩#गांधीजी ने कहा था कि संसद में जो अंग्रेजी बोलेगा, उसे मैं गिरफ्तार करवा दूँगा। लेकिन आज अंग्रेजी बोलनेवाले को सम्मानित किया जाता है मातृभाषा में बोलनेवाले को लोग निम्न दृष्टि से देखते है ?
🚩सारे #कानून #अंग्रेजी भाषा में बनते हैं। अदालत में वकील क्या बहस कर रहा है और #न्यायाधीश क्या फैसला दे रहा है, यह बेचारे मुवक्किल को सीधे पता भी नहीं चलता । क्या यह न्याय का मजाक नहीं ? वकील और न्यायाधीश काला कोट और चोगा पहनकर अंग्रेजों के पुराने घिसे-पिटे कानूनों के आधार पर ही फैसला कर रहे हैं । आजादी के 70 साल, न्याय व्यवस्था भी बेहाल है अदालत में 2.18 करोड़ केस लंबित है । उन करोड़ों लोगों के लिए इसआजादी के कोई मायने नहीं जो सालों से न्याय मांगने केलिए अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं । एक कहावत हैः देर से मिला न्याय भी अपने आप में अन्याय है ।
🚩पढ़े-लिखे गुलाम मानसिकतावाले लोग दीक्षांत समारोह के अवसर पर चोगा और टोपा पहनते हैं, माँ-बाप बच्चों को गले में टाई का फंदा लटका देते हैं, जन्मदिन पर केक काटते हैं, हस्ताक्षर अपनी भाषा में नहीं करते । बच्चे भी अपनी मां को ‘मम्मी’ और पिता को ‘डैडी’ कहते हैं,‘वेलेंटाइन डे’ मनाते हैं।
🚩अंग्रेजों को भारत छोड़े तकरीबन 69 साल हो गए लेकिन आज भी अमरावती से मुर्तजापुर का  रेलवे ट्रैक ब्रिटेन के कब्जे में है। इंडियन रेलवे हर साल एक करोड़ 20 लाख की रॉयल्टी ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी को देता है ।
🚩यह #देश का दुर्भाग्य है कि
अभी तक हमलोग गुलामी की जंजीरों को विरासत के रूप में संजोकर रखे हुए है । पता नहीं देश में इसके खिलाफ जागरुकता कब आयेगी ?अंग्रेजों के उत्तराधिकारी से देश को मुक्ति कब मिलेगी ? मानसिक गुलामी और नकल से हमलोग कब आजाद होंगे? इसकी पहल तो जागरुक जनता को ही करनी होगी । यदि जनता दृढ़ संकल्प करें तो कार्यपालिका, विधायिका और #न्यायपालिका सभी गुलामी के जंजीर से मुक्त हो सकते हैं । तो आइये हम सब मिलकर भगवान व संत-महापुरुषों के आशीर्वाद को शिरोधार्य कर देश को मानसिक गुलामी से मुक्त करने का संकल्प करें ।
🚩जय हिन्द, जय भारत ।
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Sunday, August 13, 2017

श्रीकृष्णजन्माष्टमी : 15 अगस्त 2017

स्वार्थी, तामसी, आसुरी प्रकृति के कुकर्मी लोग बढ़ जाते हैं तब भगवान का प्रागट्य होता है

🚩#पृथ्वी आक्रान्त होकर श्रीहरि से अपने त्राण के लिए #प्रार्थना करती है। जो पृथ्वी इन आँखों से दिखती है वह पृथ्वी का #आधिभौतिक स्वरूप है किंतु कभी-कभी #पृथ्वी नारी या #गाय का रूप लेकर आती है वह पृथ्वी का #आधिदैविक स्वरूप है।
janmashtami2017

🚩पृथ्वी से कहा गयाः "इतनी बड़ी-बड़ी इमारतें तुम पर बन गयी हैं इससे तुम पर कितना सारा बोझा बढ़ गया !"तब पृथ्वी ने कहाः "इन इमारतों का कोई बोझा नहीं लगता किंतु जब साधु-संतों और भगवान को भूलकर, सत्कर्मों को भूलकर, सज्जनों को तंग करने वाले विषय-विलासी लोग बढ़ जाते हैं तब मुझ पर बोझा बढ़ जाता है।"

🚩जब-जब पृथ्वी पर इस प्रकार का बोझा बढ़ जाता है, तब तब पृथ्वी अपना बोझा उतारने के लिए भगवान की शरण में जाती है। कंस आदि दुष्टों के पापकर्म बढ़ जाने पर भी पापकर्मों के भार से बोझिल पृथ्वी देवताओं के साथ भगवान के पास गयी और उसने श्रीहरि से प्रार्थना की तब भगवान ने कहाः "हे देवताओ ! पृथ्वी के साथ तुम भी आये हो, धरती के भार को हलका करने की तुम्हारी भी इच्छा है, अतः जाओ, तुम भी वृन्दावन में जाकर गोप-ग्वालों के रूप में अवतरित हो मेरी लीला में सहयोगी बनो। मैं भी समय पाकर #वसुदेव-देवकी के यहाँ अवतार लूँगा।"

🚩वसुदेव-देवकी कोई साधारण मनुष्य नहीं थे। स्वायम्भुव मन्वंतर में वसुदेव 'सुतपा' नाम के #प्रजापति और देवकी उनकी पत्नी 'पृश्नि' थीं। सृष्टि के विस्तार के लिए ब्रह्माजी की आज्ञा मिलने पर उन्होंने भगवान को पाने के लिये बड़ा तप किया था।

🚩#समाज में जब शोषक लोग बढ़ गये, दीन-दुखियों को सताने वाले व चाणूर और मुष्टिक जैसे पहलवानों और दुर्जनों का पोषण करने वाले क्रूर राजा बढ़ गये, समाज त्राहिमाम पुकार उठा, सर्वत्र भय व आशंका का घोर अंधकार छा गया तब भाद्रपद मास (गुजरात-महाराष्ट्र में श्रावण मास) में कृष्ण पक्ष की उस अंधकारमयी अष्टमी, #रोहिणी_नक्षत्र को #कृष्णावतार हुआ। जिस दिन वह निर्गुण, निराकार, अच्युत, माया को वश करने वाले जीवमात्र के परम सुहृद प्रकट हुए वह आज का पावन दिन जन्माष्टमी कहलाता है। उसकी आप सब को बधाई हो....

🚩#श्रीमद्_भागवत में भी आता है कि दुष्ट राक्षस जब राजाओं के रूप में पैदा होने लगे, प्रजा का शोषण करने लगे, भोगवासना-विषयवासना से ग्रस्त होकर दूसरों का शोषण करके भी इन्द्रिय-सुख और अहंकार के पोषण में जब उन राक्षसों का चित्त रम गया, तब उन आसुरी प्रकृति के अमानुषों को हटाने के लिए तथा सात्त्विक भक्तों को आनंद देने के लिए भगवान का अवतार हुआ।

🚩समाज में अव्यवस्था फैलने लगती है, सज्जन लोग पेट भरने में भी कठिनाइयों का सामना करते हैं और दुष्ट लोग शराब-कबाब उड़ाते हैं, कंस, चाणूर, मुष्टिक जैसे दुष्ट बढ़ जाते है और निर्दोष गोप-बाल जैसे अधिक सताये जाते हैं तब उन सताये जाने वालों की संकल्प शक्ति और भावना शक्ति उत्कट होती है और सताने वालों के दुष्कर्मों का फल देने के लिए भगवान का अवतार होता है ।

🚩भगवान अवतरित हुए तब जेल के दरवाजे खुल गये। पहरेदारों को नींद आ गयी। रोकने-टोकने और विघ्न डालने वाले सब निद्राधीन हो गये। जन्म हुआ है जेल में, एकान्त में, #वसुदेव-देवकी के यहाँ और लालन-पालन होता है #नंद-यशोदा के यहाँ। #ब्रह्मसुख का प्राकट्य एक जगह पर होता है और उसका पोषण दूसरी जगह पर होता है। श्रीकृष्ण का प्राकट्य देवकी के यहाँ हुआ है परंतु पोषण यशोदा माँ के वहाँ होता है। 

🚩#श्रीकृष्ण के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण बात झलकती है कि बुझे दीयों को प्रकाश देने का कार्य और उलझे हुए दिलों को सुलझाने का काम तो वे करते ही हैं, साथ ही साथ इन कार्यों में आने वाले विघ्नों को, फिर चाहे वह मामा कंस हो या पूतना या शकटासुर-धेनकासुर-अघासुर-बकासुर हो या फिर केशि हो, सबको श्रीकृष्ण किनारे लगा देते हैं।

🚩श्रीमद् भगवदगीता के चौथे अध्याय के सातवें एवं आठवें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अपने श्रीमुख से कहते हैं-

🚩यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

🚩परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।

🚩1.परितृणाय साधुनाः साधु स्वभाव के लोगों का, सज्जन स्वभाववाले लोगों का रक्षण करना।

🚩2. विनाशाय च दुष्कृताम् जब समाज में बहुत स्वार्थी, तामसी, आसुरी प्रकृति के कुकर्मी लोग बढ़ जाते हैं तब उनकी लगाम खींचना।

🚩3.धर्मसंस्थापनार्थायः धर्म की स्थापना करने के लिए अर्थात् अपने स्वजनों को, अपने भक्तों को तथा अपनी ओर आने वालों को अपने स्वरूप का साक्षात्कार हो सके इसका मार्गदर्शन करना।

🚩भगवान के अवतार के समय तो लोग लाभान्वित होते ही हैं किंतु भगवान का दिव्य विग्रह जब अन्तर्धान हो जाता है, उसके बाद भी भगवान के गुण, कर्म और लीलाओं का स्मरण करते-करते हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी मानव समाज लाभ उठाता रहता है।

🚩श्रीकृष्ण #जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।

🚩एक जन्माष्टमी का व्रत एक हजार एकादशी के बराबर है ।

🚩जो मनुष्य श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण)

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